बंगाल में ‘मतदाता सूची से नाम हटने के डर से’ व्यक्ति ने आत्महत्या की

नेशनल एक्सप्रेस डिजिटल डेस्क
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पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान मतदाता सूची से नाम हटाए जाने के कारण कथित तौर पर भयभीत अधेड़ उम्र के एक व्यक्ति ने बुधवार को आत्महत्या कर ली।

कोलकाता, भाषा। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान मतदाता सूची से नाम हटाए जाने के कारण कथित तौर पर भयभीत अधेड़ उम्र के एक व्यक्ति ने बुधवार को आत्महत्या कर ली।तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि एसआईआर के डर से राज्य में आत्महत्या की यह आठवीं घटना है।

मृतक की पहचान शफीक-उल-गाजी के रूप में हुई है, जो मूल रूप से उत्तर 24 परगना के घुसिघाटा का निवासी था और पिछले कुछ महीने से भांगड़ के जयपुर इलाके में अपनी ससुराल के मकान में रह रहा था।

परिवार के सदस्यों के अनुसार, गाजी को कुछ महीने पहले एक दुर्घटना में चोट आई थीं और तब से वह मानसिक रूप से परेशान था। राज्य में एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने के बाद से उसकी चिंता बढ़ गई थी।

मृतक की पत्नी ने संवाददाताओं को बताया, "वह वैध पहचान पत्र न होने से भयभीत थे। वह बार-बार कहते थे कि उन्हें देश से बाहर निकाल दिया जाएगा। डर की वजह से वह बीमार पड़ गए थे। आज सुबह चाय पीने के बाद वह बकरियों को बांधने गए और बाद में हमने उन्हें बकरी के बाड़े में गमछे से बनाए गए फंदे लटके हुए पाया।"

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इस घटना ने राजनीतिक माहौल गर्म कर दिया है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर एसआईआर के माध्यम से "दहशत पैदा करने" का आरोप लगाया है।

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शोक संतप्त परिवार से मिलने पहुंचे कैनिंग ईस्ट से टीएमसी के विधायक शौकत मुल्ला ने कहा कि वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के निर्देश पर वहां गए थे।

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मुल्ला ने आरोप लगाया, "मंगलवार तक एसआईआर प्रक्रिया के डर से सात लोगों की मौत हो चुकी थी। अब भांगड़ में आत्महत्या करने वाला व्यक्ति भी इस सूची में शामिल हो गया है। यह गरीब लोगों को डराने और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करने की भाजपा की साजिश के कारण हो रहा है।"हालांकि, भाजपा ने आरोपों को "राजनीति से प्रेरित नाटक" बताकर खारिज कर दिया।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा, "एसआईआर मतदाता सूचियों को अद्यतन करने के लिए पूरे भारत में आयोजित एक नियमित निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया है। टीएमसी इन मौत के आंकड़ों का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए और भाजपा को बदनाम करने के लिए कर रही है। कानून-व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, हमारी नहीं।"निर्वाचन आयोग ने अब तक इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

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