नरा गांव में 'अभूतपूर्व' घोटाला! जांच से बचने को प्रधान कर रही हैं 'अस्तित्वहीन' गलियों का निर्माण

नेशनल एक्सप्रेस डिजिटल डेस्क
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मुज़फ़्फ़रनगर तहसील एवं ब्लॉक के गाँव नरा में इन दिनों पंचायती राज कार्यों में कथित भ्रष्टाचार का एक ऐसा मामला सामने आया है।

नेशनल एक्सप्रेस, मुज़फ़्फ़रनगर (कोसर चौधरी)। मुज़फ़्फ़रनगर तहसील एवं ब्लॉक के गाँव नरा में इन दिनों पंचायती राज कार्यों में कथित भ्रष्टाचार का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गाँव की वर्तमान ग्राम प्रधान वसीला बेगम पर पंचायती मदों में लाखों रुपये के घोटाले और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं।

जिसकी जांच प्रक्रिया अभी भी जारी है। लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि इसी जांच के दौरान, प्रधान ने एक ऐसा निर्माण कार्य शुरू करा दिया है, जो कागजों में पहले ही पूरा दिखाया जा चुका है और जिसके लिए भुगतान भी उठाया जा चुका है।

गाँव के जागरूक निवासी मो. हारून ने इस पूरे प्रकरण को लेकर जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) को एक विस्तृत शिकायत पत्र लिखा है। हारून ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है कि ग्राम प्रधान वसीला बेगम जांच प्रक्रिया को सीधे तौर पर प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं।

उनका दावा है कि जांच में यह बात सामने आई है कि कई मदों में ऐसी गलियों और विकास कार्यों का निर्माण दिखाया गया है, जो वास्तव में धरातल पर कभी हुए ही नहीं।

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"अकरम के मकान से सलीम के मकान तक की रहस्यमयी गली!"

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शिकायतकर्ता मो. हारून ने अपनी शिकायत में 'अकरम के मकान से सलीम के मकान तक' की एक गली का विशेष उल्लेख किया है। हारून के अनुसार, यह गली कागजों में तो बन चुकी है और इसके नाम पर लाखों रुपये का भुगतान भी निकाला जा चुका है, लेकिन मौके पर ऐसी कोई गली मौजूद नहीं है। अब जब इस 'अदृश्य' गली पर जांच की आंच पड़ने लगी है, तो ग्राम प्रधान वसीला बेगम आनन-फानन में इसका निर्माण कार्य शुरू कराना चाहती हैं।

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ग्रामीणों में इस बात को लेकर भारी आक्रोश है कि जब एक निर्माण कार्य कागजों में पहले ही 'संपन्न' हो चुका है और उसके लिए सरकारी खजाने से पैसा भी निकल चुका है, तो अब उसका दोबारा निर्माण क्यों कराया जा रहा है? स्पष्ट है कि यह कदम केवल जांच को गुमराह करने और अपनी कथित धांधलियों पर पर्दा डालने के लिए उठाया जा रहा है।

जांच प्रभावित होने का गंभीर अंदेशा:

मो. हारून ने जिला पंचायत राज अधिकारी से अपील की है कि यदि इस 'संदिग्ध' निर्माण कार्य को तुरंत नहीं रोका गया, तो चल रही जांच का पूरा उद्देश्य ही विफल हो जाएगा। उनके अनुसार, प्रधान ऐसा करके यह साबित करना चाहती हैं कि कागजों में दिखाए गए सभी कार्य धरातल पर भी मौजूद हैं, जबकि सच्चाई कुछ और है। यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार को छिपाने का प्रयास है।

इस मामले ने नरा गांव सहित पूरे ब्लॉक में हड़कंप मचा दिया है। ग्रामीणों की मांग है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और गहन जांच हो। उनकी मांग है कि न केवल कथित घोटालों की जांच तेजी से पूरी की जाए, बल्कि जांच प्रभावित करने के इन प्रयासों पर भी तत्काल रोक लगाई जाए और दोषी पाए जाने पर ग्राम प्रधान के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।

जिला पंचायत राज अधिकारी से हस्तक्षेप की मांग:

ग्रामीणों ने जिला पंचायत राज अधिकारी से तत्काल हस्तक्षेप करने और इस 'कागजी' निर्माण कार्य को रोकने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो भविष्य में कोई भी ग्राम प्रधान आसानी से घोटालों को अंजाम देकर जांच से बच निकलने में सफल हो जाएगा। यह मामला पंचायती राज व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को एक बार फिर रेखांकित करता है।

प्रशासनिक लापरवाही ने बढ़ाई चिंता

इस मामले में प्रशासनिक स्तर की लापरवाही भी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, सहायक डीपीआरओ धर्मेंद्र कुमार को जब इस संदिग्ध निर्माण की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत सदर ब्लॉक के एडीओ, पंचायत सत्येंद्र कुमार को निर्माण कार्य रोकने के आदेश जारी किए। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि आदेश जारी होने के बावजूद निर्माण का काम शाम तक बिना किसी रुकावट के जारी रहा।

जब शिकायतकर्ताओं ने इस संबंध में स्वयं सत्येंद्र कुमार से फोन पर बात की, तो उन्होंने जवाब दिया कि वह छुट्टी पर हैं। एक अधिकारी द्वारा छुट्टी पर होने का हवाला देकर संवेदनशील मामले में दखल न देना, प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है और ग्रामीणों की चिंता को और बढ़ा देता है।

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