पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं गत पांच साल में न्यूनतम स्तर पर : सीएक्यूएम
पंजाब और हरियाणा में खरीफ सत्र के दौरान पराली जलाने की घटनाएं 2025 में अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गईं और इस साल पंजाब में 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच ऐसे 5,114 मामले और हरियाणा में 662 मामले दर्ज किए गए हैं।
नयी दिल्ली, भाषा। पंजाब और हरियाणा में खरीफ सत्र के दौरान पराली जलाने की घटनाएं 2025 में अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गईं और इस साल पंजाब में 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच ऐसे 5,114 मामले और हरियाणा में 662 मामले दर्ज किए गए हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सोमवार को यह जानकारी दी। सीएक्यूएम के मुताबिक पंजाब में यह संख्या 2024 में दर्ज मामलों के मुकाबले 53 प्रतिशत, 2023 के मुकाबले 86 प्रतिशत, 2022 के मुकाबले 90 प्रतिशत और 2021 के मुकाबले 93 प्रतिशत कम है। उसने बताया कि इसी प्रकार हरियाणा में इस वर्ष पराली जलाने के दर्ज मामले 2024 के मुकाबले 53 प्रतिशत, 2023 से 71 प्रतिशत, 2022 से 81 प्रतिशत और 2021 से 91 प्रतिशत कम है।
यह सीएक्यूएम द्वारा राज्य-विशिष्ट फसल अवशेष प्रबंधन प्रयासों पर नजर रखने के बाद से सबसे तेज गिरावट है।सीएक्यूएम ने एक बयान में कहा कि खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में लगातार कमी आने से इस मौसम में दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में संभावित ‘अचानक’ गिरावट सीमित हो गई है। आयोग ने इस गिरावट के लिए राज्य और जिला-विशिष्ट कार्य योजनाओं, फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के बड़े पैमाने पर उपयोग, सख्त प्रवर्तन उपायों, पराली के विस्तारित उपयोग और कृषि अपशिष्ट आधारित ऊर्जा उत्पादन, औद्योगिक बॉयलरों में धान के भूसे का उपयोग, जैव-इथेनॉल उत्पादन और ताप विद्युत संयंत्रों और ईंट भट्टों में ईंधन के रूप में अनिवार्य रूप से पराली के इस्तेमाल जैसे कदमों को श्रेय दिया है।
इसके अतिरिक्त, सीएक्यूएम ने रेखांकित किया कि राज्य कृषि विभागों, जिला प्रशासनों और आयोग के बीच निरंतर समन्वय से, जब भी महत्वपूर्ण पराली जलाने की घटनाएं हुईं, समय पर सुधारात्मक कार्रवाई करने में सुविधा हुई।इसमें कहा गया कि उड़न दस्तों, पराली संरक्षण बल, क्षेत्रीय अधिकारियों और पराली जलाने के केंद्र माने जाने वाले जिलों में टीम की तैनाती से जमीनी स्तर पर निरीक्षण, साथ ही किसान केंद्रित जागरूकता अभियानों ने भी सुधार में योगदान दिया।

