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संपादकीय

गीता पढ़ी पुस्तक में, लेकिन दीक्षा गांधीजी से मिली_विनोबा

गीता पढ़ी पुस्तक में, लेकिन दीक्षा गांधीजी से मिली_विनोबा
बाबा निरंतर अनुभव करता है कि बापू मेरे आगे पीछे और ऊपर हैं। बाबा शंकराचार्य के एक वाक्य का हर समय ध्यान रखते थे कि मनुष्य के परम भाग्य तीन होते हैं।

भारत के डेटा पर विदेशी पहरे : यह कैसी आज़ादी?

हर भारतीय जो फेसबुक पर पोस्ट डालता है, गूगल पर सर्च करता है, या अपनी लोकेशन साझा करता है, उसका हर क्लिक, हर पसंद, हर कदम डेटा के विशाल भंवर में समा जाता है।
विमर्श  संपादकीय 

सही मायने में दीवाली कैसे मनाएं?

दीवाली का दिन सिक्ख इतिहास में भी बड़ी महत्ता रखता है। छट्ठे गुरु श्री हरगोबिन्द सिंह जी महाराज जो ग्वालियर के किले में कैद थे, आज ही के दिन वे 52 राजा-महाराजाओं के साथ रिहा हुए थे।
विमर्श  संपादकीय 

सामरिक क्षेत्र में स्वदेशी का संकल्प

दुनिया में देश का महत्व बढ़ा है। उत्तर प्रदेश के डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर से देश को रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और मेक इन इण्डिया को बढ़ावा देने में सहायता मिल रही है। एक समय था जब भारत रक्षा सामग्री का सबसे बड़ा आयातक था। इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का कोई विजन ही नहीं था।
विमर्श  संपादकीय 

हमारे गांव हों सृष्टिपूजक और शहर हों ग्राम : सेवक विनोबा

गांवों में बुनियादी चीजें बनेंगी, इस वास्ते ग्रामीण लड़के की तालीम अत्यंत सहज भाव से होगी। और शहरों की बुनियादी चीजें नहीं बनेंगी,गौण चीजें बनेंगी। इस वास्ते वैसी ही तालीम होगी। 
संपादकीय 

धनतेरस का इतिहास और पौराणिक कथाएँ

धनतेरस मुख्य रूप से स्वास्थ्य, समृद्धि और धन का प्रतीक है। इस दिन न केवल धन की देवी लक्ष्मी और कोषाध्यक्ष कुबेर की पूजा की जाती है, बल्कि सबसे प्रमुख रूप से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती मनाई जाती है।
विमर्श  संपादकीय  आध्यात्म 

विनोबा विचार प्रवाह ! एकवर्षीय मौन संकल्प का 294 वां दिन

कर्मयोग में,संसार में, जीवन में सत्य प्रधान होता है। ज्ञानियों के दिमाग में और विद्वानों के पुस्तकालय में ज्ञान प्रधान होता है। भक्तिमार्ग में आनंद प्रधान होता है।
विमर्श  संपादकीय 

विनोबा विचार प्रवाह! एकवर्षीय मौन संकल्प का 293 वां दिन

बाबा की कल्पना थी कि गांव गांव में सरकारी स्कूल अगर नहीं खुल सकें तो हमारे सुबह के समय एक घंटे के स्कूल चलें।
विमर्श  संपादकीय 

विनोबा विचार प्रवाह! एकवर्षीय मौन साधना का 292 वां दिन

विचारों का प्रत्यक्ष जीवन से नाता टूट जाने से विचार निर्जीव हो जाते हैं और जीवन विचार शून्य बन जाता है। बाबा कहते थे कि मनुष्य घर में जीता है और शाला में विचार सीखता है। इसलिए जीवन और विचार का मेल नहीं बैठता।
विमर्श  संपादकीय 

आपदा के बाद की सावधानियां : सुरेश भाई

उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर में आयी भीषण आपदा ने हिमालय और उसकी नदियों के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया है। जिसके कारण प्राकृतिक और मानवीय आपदा दोनों चर्चा के विषय बन गये हैं।
विमर्श  संपादकीय 

विनोबा विचार प्रवाह! एकवर्षीय मौन साधना का 291 वां दिन

कर्तव्य परायण शिक्षक स्वत:सिद्ध शिक्षण केंद्र है उसके समीप बैठना ही शिक्षा है_ विनोबा।
विमर्श  संपादकीय 

विनोबा सेवा आश्रम के तत्वावधान में जयप्रभा कुटीर का मनाया गया 12 वां स्थापना दिवस

समाज में बुजुर्गों की सेवा से बढ़कर कुछ नहीं, उनकी सेवा से ज्ञान और आयु प्राप्त होती है। अपने माता पिता की सेवा तो हर कोई कर लेता है लेकिन गांव के सभी बुजुर्गों को अच्छा बिस्तर मिले, पंखे की हवा मिले, पोषक स्वल्पाहार मिले, बीमार हों तो इलाज मिले।
विमर्श  संपादकीय 

परमार्थ निकेतन में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानगंगा प्रवाहित

नेशनल एक्सप्रेस ब्यूरो, ऋषिकेेश। परमार्थ निकेतन के दिव्य प्रांगण में कथाव्यास श्री कनकेश्वरी देवी जी के श्रीमुख से प्रवाहित हो रही श्रीमद् भागवत कथा की ज्ञानगंगा में आज परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती...
विमर्श  संपादकीय  आध्यात्म 

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