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कविता

झूठ फ़रेब 

झूठ फ़रेब 
दिल के टूटने का सबब क्या था दिलबर? तेरी क़ुरबत की दास्तान अब याद नहीं आती 

द्वंद और प्रेम

अंधेरी रात में, एक पथिक चला है,काँटों भरे रास्तों पर, उसका तन जला हैसपनों की मशाल लिए, वो तूफ़ानों से लड़ता है,हर मोड़ पर एक नया पर्वत चढ़ता है,यह रणभूमि है, जहाँ रोज़ एक नई चुनौती...
साहित्य  कविता 

शहरी इश्क़

इश्क़ अब शहर हो चला है, और उसे ठहरने का वक़्त नहीं है।
साहित्य  कविता 

संघर्ष

मन तो उलझता ही रहता है, हर शुरुआत एक सवाल से करता है।
साहित्य  कविता 

तरक्की के लिए

कविता
साहित्य  कविता 

मिलन

कुछ पल के लिए ज़िंदगी मुझे से गले मिली जी भर के मुझको जी लो मुझसे कहने लगी थाम कर हाथ मेरा ख़्वाबों में मुझे ले चली हमसफ़र समझ के साथ मेरे चलने लगी वो गुनगुना रही थी मोहब्बत खड़ी-खड़ी...
साहित्य  कविता 

लिफ्ट

कतार में खड़े आगे पीछे होते कई चेहरे    तेज आवाज में बाते करता हुआ दूजा खींजता, मन मसोसता हुआ तो कोई ऊपर की ओर देखता मानो छत को भेदकर क्रांति तोड़ लाएगा    आईना देख सुन्दर छवि पर इतराती वह इम्पोर्टेड...
साहित्य  कविता 

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