झूठ फ़रेब
दिल के टूटने का सबब क्या था दिलबर? तेरी क़ुरबत की दास्तान अब याद नहीं आती
झूठ फ़रेब की दास्तान अब समझ नहीं आती
तेरी बातों में अब वो मोहब्बत नज़र नहीं आती
Read More शहरी इश्क़
वाबस्ता है तेरा साया अब भी मुझ में
Read More तरक्की के लिए
पर आईने में तेरी तस्वीर नज़र नहीं आती
Read More संघर्ष
दिल के टूटने का सबब क्या था दिलबर?
तेरी क़ुरबत की दास्तान अब याद नहीं आती
इतनी ख़ामियाँ गिना दी ज़माने ने हम में
अब ख़ुद में इंसानियत नज़र नहीं आती
सर्द हवाओं ने बग़ावत कर दी है
मेरे आँगन में अब गुनगुनी धूप नहीं आती
शहर की रातों में कुछ शोर सा बसता है
अब सन्नाटों में अक्सर नींद नहीं आती
- निवेदिता रॉय, बहरीन
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