पत्रकारिता के परिदृश्य को बदल रही हैं महिलाएं: अगले प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत

नेशनल एक्सप्रेस डिजिटल डेस्क
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भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने शनिवार को कहा कि महिला पत्रकार अपनी सतत एवं निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से मीडिया परिदृश्य में बदलाव ला रही हैं, जिससे ठोस सामाजिक बदलाव आए हैं।

नई दिल्ली, भाषा। भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने शनिवार को कहा कि महिला पत्रकार अपनी सतत एवं निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से मीडिया परिदृश्य में बदलाव ला रही हैं, जिससे ठोस सामाजिक बदलाव आए हैं।

‘इंडियन वुमंस प्रेस कॉर्प्स (आईडब्ल्यूपीसी) की 31वीं वर्षगांठ पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने स्थानीय स्तर पर अग्रणी रिपोर्टिंग के लिए महिला पत्रकारों की सराहना की, जो सामाजिक अन्याय, लैंगिक हिंसा और नीतिगत खामियों को उजागर करती हैं।

उन्होंने कहा, "भारत और दुनिया भर में, महिलाएं स्थानीय रिपोर्टिंग टीम का नेतृत्व करके पत्रकारिता के परिदृश्य को बदल रही हैं, जो सामाजिक अन्याय, लैंगिक हिंसा और नीतिगत कमियों का दस्तावेजीकरण करती हैं। उनकी निरंतर, निष्पक्ष पत्रकारिता और स्थानीय अधिकारियों के साथ उनके जुड़ाव ने बेहतर बुनियादी ढांचे से लेकर अधिक कानूनी पारदर्शिता तक, ठोस बदलाव लाए हैं।"

उन्होंने कहा कि आईडब्ल्यूपीसी की वर्षगांठ मनाते हुए लोगों को महिला पत्रकारों की भावना का सम्मान करना चाहिए, जिनमें वे भी शामिल हैं जिन्होंने संघर्ष क्षेत्रों से रिपोर्टिंग की, सख्त समय सीमा के तहत महत्वपूर्ण आलेखों को संपादित किया, जोशीली बहसों को आगे बढ़ाया।

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हालांकि, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और उससे जुड़ी उभरती तकनीकों के कारण महिला पत्रकारों की विशिष्ट कमज़ोरियों को रेखांकित किया।

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उन्होंने कहा, "यह स्वीकार करना जरूरी है कि एआई के अप्रतिबंधित उपयोग के साथ कई जोखिम जुड़े हैं, खासकर पत्रकारों और समाचार रिपोर्टिंग के विषयों की निजता, गरिमा और सुरक्षा से जुड़े। डीपफेक तकनीक और छेड़छाड़ की गई तस्वीरों का प्रसार इन खतरों को और बढ़ा देता है।"

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि ऐसी प्रौद्योगिकी की पृष्ठभूमि में, महिला पत्रकारों को कई बार निशाना बनाया जाता है और अपराधी निजी डेटा का दुरुपयोग करते हैं, आपत्तिजनक सामग्री गढ़ते हैं, लगातार ट्रोल करते हैं और मनोवैज्ञानिक और पेशेवर नुकसान के लिए छवियों में हेरफेर करते हैं।

उन्होंने कहा, "ये अपराधी, महिला पत्रकारों के वास्तविक कार्य या उनके द्वारा व्यक्त विचारों से जुड़ने के बजाय, उन्हें नीचा दिखाने, उनमें भय पैदा करने और पेशेवर रूप से उन्हें बदनाम करने के लिए ऑनलाइन हिंसा के इन तरीकों का उपयोग करते हैं।"

उन्होंने कहा कि इस प्रकार का डिजिटल दुरुपयोग न केवल महिला पत्रकारों के आत्मविश्वास और सुरक्षा को कमजोर करता है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता को भी खतरा पहुंचाता है।आईडब्ल्यूपीसी की अध्यक्ष सुजाता राघवन ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

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