मलकानगिरी में समूह संघर्ष: इंटरनेट सेवाएं निलंबित, निषेधाज्ञा लागू
ओडिशा के मलकानगिरी जिले में एक आदिवासी महिला की हत्या को लेकर दो समूहों के बीच झड़प के बाद प्रशासन ने सोमवार को इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं और दो गांवों में निषेधाज्ञा लागू कर दी।
मलकानगिरी/भुवनेश्वर, भाषा। ओडिशा के मलकानगिरी जिले में एक आदिवासी महिला की हत्या को लेकर दो समूहों के बीच झड़प के बाद प्रशासन ने सोमवार को इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं और दो गांवों में निषेधाज्ञा लागू कर दी। महिला का सिर कटा शव एक नदी के पास से बरामद किया गया था। पुलिस ने यह जानकारी दी। दोनों पक्षों ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर हत्यारे की गिरफ्तारी की मांग की है, जबकि पुलिस ने कहा है कि इलाके में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और स्थिति अब नियंत्रण में है। विपक्ष बीजू जनता दल और कांग्रेस ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया और मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी नीत भाजपा सरकार पर रविवार को झड़प को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया।
हालांकि चार दिसंबर को राखेलगुडा गांव के पास नदी के किनारे से 51 वर्षीय विधवा लेक पदियामी का धड़ बरामद होने के बाद क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया था। यह झड़प रविवार दोपहर को हुई जब राखलगुडा गांव के आदिवासियों ने कोरकुंडा सदर थाना क्षेत्र के अंतर्गत बंगाली आबादी के इलाके एमवी-26 गांव पर कथित तौर पर हमला किया। पुलिस ने बताया कि भीड़ ने कम से कम एक दर्जन घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया, कुछ वाहनों को नष्ट कर दिया तथा कम से कम चार घरों को आग लगा दी।
अधिकारियों ने बताया कि दो गांवों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जबकि समूचे मलकानगिरी में सोमवार शाम छह बजे से 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। मलकानगिरी बंगाली समाज के अध्यक्ष गौरांग कर्मकार के नेतृत्व में हजारों लोगों ने जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और एमवी-26 गांव पर हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। संगठन ने प्रशासन को दी गई याचिका में कहा कि हमले के दौरान एमवी-26 गांव के अधिकांश निवासी भाग गए हैं।
एक अलग याचिका में जिला आदिवासी समाज महासंघ ने आरोप लगाया कि 1978 से 1980 के बीच बड़ी संख्या में घुसपैठिये जिले में घुस आए थे। उन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया और स्थानीय आदिवासियों का शोषण किया। इसमें मांग की गई कि पुलिस हत्या के आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करे और महिला का गायब सिर बरामद करे। जिला आदिवासी समाज महासंघ, मलकानगिरी के बैनर तले आदिवासियों ने एक याचिका में अवैध घुसपैठियों और महिला की हत्या करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत सरकार ने 1964 में मलकानगिरी जिले के 215 गांवों और नवरंगपुर जिले के उमरकोट और रायगढ़ के 65 गांवों में प्रवासी बंगाली परिवारों को बसाया था। ये बंगाली पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए थे।
मलकानगिरि के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) राज किशोर दास ने बताया कि ओडिशा पुलिस एवं सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अतिरिक्त बलों की तैनाती के बाद स्थिति नियंत्रण में है। ओडिशा अग्निशमन सेवा के कर्मियों के साथ-साथ ओडिशा आपदा त्वरित कार्रवाई बल के कर्मी भी गांव में तैनात हैं। उप महानिरीक्षक (दक्षिण पश्चिमी) कंवर विशाल सिंह, मलकानगिरि जिला अधिकारी सोमेश कुमार उपाध्याय और पुलिस अधीक्षक (एसपी) विनोद पाटिल एच ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। दोनों समूहों के सदस्यों के साथ एक बैठक की गई। दोनों गांव में भारी पुलिस बल तैनात है। डीजीपी वाईबी खुरानिया वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा करने मलकानगिरी पहुंचे गए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

