भारतीय चावल अमेरिका के बाजार में अपनी गुणवत्ता व स्वाद से सबसे अधिक लोकप्रिय : डॉ प्रेमचंद गर्ग
IREF ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी चावल भारतीय चावल का विकल्प नहीं हो सकता, क्योंकि भारतीय बासमती की खुशबू, लंबाई, बनावट और विशिष्ट स्वाद अमेरिकी किस्मों में उपलब्ध नहीं है।
नेशनल एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय चावल को लेकर दिए गए हालिया बयान पर भारतीय राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (IREF) ने स्पष्ट प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भारत–अमेरिका चावल व्यापार पूरी तरह मांग-आधारित है और भारतीय चावल, विशेष रूप से बासमती, का कोई वास्तविक विकल्प अमेरिकी बाजार में मौजूद नहीं है।
फेडरेशन ने यह भी बताया कि अमेरिका में भारतीय चावल की खपत मुख्य रूप से खाड़ी और दक्षिण एशियाई मूल के उपभोक्ताओं के बीच लगातार बढ़ रही है, क्योंकि बिरयानी जैसे लोकप्रिय व्यंजनों के लिए भारतीय बासमती अपरिहार्य है।
जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024–25 में भारत ने अमेरिका को 337.10 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का 2.74 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल निर्यात किया, जिससे अमेरिका भारत के बासमती चावल का चौथा सबसे बड़ा बाज़ार बना। गैर–बासमती श्रेणी में भारत ने अमेरिका को 54.64 मिलियन डॉलर मूल्य का 61,341 मीट्रिक टन चावल भेजा, जिसमें अमेरिका 24वां सबसे बड़ा बाज़ार रहा।
IREF ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी चावल भारतीय चावल का विकल्प नहीं हो सकता, क्योंकि भारतीय बासमती की खुशबू, लंबाई, बनावट और विशिष्ट स्वाद अमेरिकी किस्मों में उपलब्ध नहीं है। फेडरेशन के अनुसार अधिकांश निर्यात अग्रिम ऑर्डर के आधार पर होते हैं, और मांग पूरी तरह उपभोक्ता की पसंद और परंपरागत खाद्य आदतों पर निर्भर करती है।
हाल ही में अमेरिकी सरकार द्वारा शुल्क को 10% से बढ़ाकर 50% कर दिए जाने पर भी भारतीय चावल के निर्यात में विशेष गिरावट नहीं देखी गई है। फेडरेशन का कहना है कि शुल्क वृद्धि का बड़ा हिस्सा अमेरिकी उपभोक्ताओं पर ही स्थानांतरित हो गया है, जिसके कारण खुदरा बाजार में पैक्ड चावल की कीमतें बढ़ी हैं, जबकि भारतीय किसानों और निर्यातकों को मिलने वाला मूल्य लगभग स्थिर बना हुआ है।
IREF के उपाध्यक्ष देव गर्ग ने कहा कि भारतीय चावल उद्योग प्रतिस्पर्धी और स्थिर है, और अमेरिकी बाजार महत्वपूर्ण होने के बावजूद भारत के निर्यात विश्व के कई देशों में विविध रूप से फैले हुए हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि फेडरेशन सरकार के साथ मिलकर मौजूदा व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने और नए बाज़ारों को जोड़ने में निरंतर सक्रिय रहेगा।
फेडरेशन ने दोहराया कि भारत–अमेरिका चावल व्यापार सांस्कृतिक पसंद, उपभोक्ता मांग और गुणवत्ता-आधारित भरोसे पर आधारित है, और भारत प्रीमियम गुणवत्ता वाले चावल का विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बना रहेगा।

