नंदुरबार ट्रस्ट ने यमन के दंपति की भारत में लंबे समय तक रहने में मदद की: ईडी
विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन के आरोपों को लेकर जांच के घेरे में आए।
नयी दिल्ली, भाषा। विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन के आरोपों को लेकर जांच के घेरे में आए महाराष्ट्र के एक ट्रस्ट और उसके न्यासियों ने यमन के एक दंपति के वीजा की अवधि खत्म होने के बाद भी भारत में रहने में उनकी “मदद” की और उनके लिए आधार, पैन तथा जन्म प्रमाणपत्र भी बनवाए। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को यह जानकारी दी। केंद्रीय एजेंसी ने एक दिसंबर को नंदुरबार स्थित जामिया इस्मालिया इशातुल ऊलूम (जेआईआईयू) ट्रस्ट और अन्य के खिलाफ धनशोधन मामला दर्ज करने के बाद कई स्थानों पर छापे मारे। ये छापे राज्य के उत्तर-पश्चिमी जिले के अलावा मुंबई और राजस्थान के बाड़मेर में भी मारे गए।
गृह मंत्रालय ने पिछले साल जुलाई में पाया कि ट्रस्ट विदेशी चंदे की राशि कुछ अन्य गैर-एफसीआरए पंजीकृत गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को भेजने में “लिप्त” था, जिसके बाद उसका एफसीआरए पंजीकरण रद्द कर दिया था। जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि ट्रस्ट, यमनी नागरिक अल-खदामी खालिद इब्राहिम सालेह और अन्य से जुड़े लगभग एक दर्जन परिसरों की तलाशी ली गई। आरोपियों में जेआईआईयू के संस्थापक दिवंगत गुलाम मोहम्मद रंधेरा वस्तानवी, सालेह और उनकी पत्नी खडेगा इब्राहिम कासिम अल-नाशेरी व कुछ अन्य शामिल हैं।
ईडी ने कहा कि आरोपियों ने यमनी नागरिकों की उनके वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत में अवैध रूप से रहने में मदद की थी। उसने कहा कि सह-आरोपी ने यमनी नागरिकों को आश्रय प्रदान किया था और आधार, पैन व जन्म प्रमाण पत्र बनवाने तथा बैंक खाते खोलने में उनकी मदद की थी।

