खरगे ने राज्यसभा में धनखड़ के 'अचानक' इस्तीफे का जिक्र किया, सत्तापक्ष ने जताई आपत्ति

नेशनल एक्सप्रेस डिजिटल डेस्क
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राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को उपराष्ट्रपति और उच्च सदन के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन का स्वागत करते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के “अप्रत्याशित और अचानक” इस्तीफे का जिक्र किया।

नयी दिल्ली, भाषा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को उपराष्ट्रपति और उच्च सदन के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन का स्वागत करते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के “अप्रत्याशित और अचानक” इस्तीफे का जिक्र किया। इस पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने विरोध जताते हुए कहा कि यह अवसर ऐसा विषय उठाने के लिए उचित नहीं है। विपक्ष की ओर से खरगे ने सभापति का स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस ‘‘संविधानिक मूल्यों और सदन की परंपराओं’’ के साथ दृढ़ता से खड़ी है और कार्यवाही के सुचारू संचालन में सहयोग करेगी। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘सदन की कार्यवाही का निष्पक्ष संचालन और प्रत्येक पार्टी के सदस्यों को समान अवसर देना इस पद की विश्वसनीयता के लिए आवश्यक है।’’

खरगे ने जिक्र किया कि राधाकृष्णन तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके सी के कुप्पुस्वामी के रिश्तेदार हैं, जो कांग्रेस के सदस्य थे। उन्होंने कहा, ‘‘बेहतर होगा कि आप दोनों तरफ संतुलन बनाए रखें। मैं आपके सफल कार्यकाल की कामना करता हूं... आप जिस पृष्ठभूमि से आते हैं, उसका प्रधानमंत्री ने ज़िक्र किया, लेकिन आपको यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आप एक कांग्रेसी परिवार से हैं।’’ खरगे ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने (संसद के) बाहर एक बयान दिया है। उन्होंने हम पर अप्रत्यक्ष हमला किया और हम उसका जवाब यहीं देंगे...।’’ उन्होंने कहा कि धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था और उनका अचानक पद छोड़ना संसदीय इतिहास में असामान्य घटना है।

उन्होंने कहा, “मुझे आपके पूर्ववर्ती के अचानक और अप्रत्याशित रूप से पद छोड़ने का उल्लेख करना पड़ रहा है…। मुझे निराशा है कि सदन को उन्हें विदाई देने का अवसर नहीं मिला।” उनकी इस बात पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने विरोध जताया। सदन के नेता जे पी नड्डा ने कहा कि अगर अप्रासंगिक बातें की जाएंगी तो विपक्ष को यह भी याद होना चाहिए कि उसने पूर्व उपराष्ट्रपति को कैसे अपमानित किया था और उनके खिलाफ दो-दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया था। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने इस “गंभीर अवसर” पर धनखड़ के इस्तीफे का उल्लेख करने को लेकर विपक्ष के नेता की आलोचना की। रीजीजू ने कहा कि यह “गंभीर अवसर” था और विपक्ष के नेता को इस समय इस मुद्दे का जिक्र नहीं करना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा पूर्व सभापति के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाना भी इस अवसर की गरिमा को प्रभावित करता है। रीजीजू ने कहा, ‘‘यह बहुत ही खास मौका है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान बहुत अच्छी बातें कहीं। माननीय नेता प्रतिपक्ष ने ऐसे मामले का ज़िक्र क्यों किया जिसे इस समय उठाने की ज़रूरत नहीं थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपने पूर्व सभापति के लिए जो भाषा इस्तेमाल की थी, जिस तरह से आपने उनका अपमान किया था, उनके खिलाफ जो प्रस्ताव आपने पेश किया था, उसकी प्रति अब भी हमारे पास है...।’’ वह उस प्रस्ताव का ज़िक्र कर रहे थे जो धनखड़ को पद से हटाने के लिए विपक्षी दलों ने पेश किया था। तब धनखड़ उपराष्ट्रपति और उच्च सदन के सभापति थे।

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सदन में नेता प्रतिपक्ष के बयान के बाद, नेता सदन जे. पी. नड्डा ने सदस्यों से अवसर की गरिमा बनाए रखने और बिहार विधानसभा चुनावों में विपक्ष के नुकसान को लेकर तर्क करने के लिए उचित समय का इंतजार करने का आग्रह किया। नड्डा ने कहा, ‘‘यह एक पवित्र अवसर है और हमें इसकी गरिमा बनाए रखनी चाहिए। विपक्ष के नेता ने जो मुद्दा उठाया, अगर हम उस पर चर्चा करना शुरू करते हैं, तो वह बेमतलब है... हमें यह भी बताना होगा कि आप उनके खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। यह अच्छे माहौल में चल रही बहस में एक रुकावट है।

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’’उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने बाहर जो कहा, उसके बारे में बात करें तो... बिहार और हरियाणा की हार से आपको बहुत दर्द हुआ होगा... समय आने पर इस बारे में बोलें।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्ष बिहार चुनावों में मिली हार से विचलित है और हार को पचा नहीं पा रहा है। उन्होंने कहा, “हार को अवरोध पैदा करने का आधार नहीं बनाना चाहिए, और जीत भी अहंकार में नहीं बदलनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि संसद ड्रामा करने के लिए नहीं, बल्कि कार्य करने के लिए है और इसका इस्तेमाल विपक्ष को हार के बाद हताशा निकालने के लिए नहीं करना चाहिए।

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