साधु बना बेटा घर लौटा तो परिवार ने पहचानने से किया इनकार
पुलिस व पंचायत के बाद सुलझा मामला
लगभग नौ साल पहले पैतृक संपत्ति को लेकर परिवार से गंभीर विवाद हुआ था, जिसके बाद उसने गांव आना लगभग बंद कर दिया।3 दिसंबर को सर्वेश SIR फॉर्म की प्रक्रिया पूरी करने गांव पहुँचा और एक रिश्तेदार सुभाष के घर ठहरा।
नेशनल एक्सप्रेस ब्यूरो, कानपुर। सजेती थाना क्षेत्र धरमगदपुर गांव से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां हिमाचल प्रदेश में साधु जीवन जी रहा एक युवक अपने SIR फॉर्म की औपचारिकताएं पूरा करने के लिए करीब 980 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने पैतृक गांव पहुंचा। लेकिन साधु जैसा रूप देखकर परिजनों ने उसे पहचानने से साफ इनकार कर दिया। मामला इतना बढ़ा कि पुलिस और ग्रामीण पंचायत तक हस्तक्षेप करना पड़ा।
सजेती थाना क्षेत्र के धरमंगदपुर गांव निवासी दिवंगत इंद्रपाल सचान का बेटा सर्वेश उर्फ कल्लू सचान पढ़ाई के बाद वर्ष 1989 में घर छोड़कर हरिद्वार चला गया था और वहीं साधु बन गया। बाद में वह हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के शिवशक्ति धाम मंदिर में रहने लगा। वर्षों से वह गांव में कम ही आता था।
लगभग नौ साल पहले पैतृक संपत्ति को लेकर परिवार से गंभीर विवाद हुआ था, जिसके बाद उसने गांव आना लगभग बंद कर दिया। 3 दिसंबर को सर्वेश SIR फॉर्म की प्रक्रिया पूरी करने गांव पहुँचा और एक रिश्तेदार सुभाष के घर ठहरा। जब घाटमपुर में रह रहे उसके परिजन पहुंचे और उसके साधु रूप को देखा, तो उन्होंने उसे अपना बेटा मानने से इनकार कर दिया। ग्रामीणों की सूचना पर सजेती पुलिस मौके पर पहुँची।
युवक ने पुलिस को अपनी शैक्षिक योग्यता, पुरानी पहचान और अन्य दस्तावेज दिखाए। जांच में सभी कागज सही पाए गए और साबित हुआ कि वही सर्वेश है। इसके बाद करीब पाँच घंटे तक पंचायत चली। पुलिस और ग्रामीणों की समझाइश पर परिजन शांत हुए और मामला शांतिपूर्ण ढंग से निपट गया। पुलिस ने बताया कि किसी भी पक्ष की ओर से कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।

