शरद ऋतु के वरदान विषय पर गोष्ठी सम्पन्न
स्वास्थ्य रक्षक है शरद ऋतु - आचार्य श्रुति सेतिया
वैदिक विदुषी श्रुति सेतिया ने कहा कि वर्ष में कुल 6 ऋतुएं होती हैं और इन ऋतुओं के अनुसार निर्देशित आहार विहार को अपनाने वाला ही सदा स्वस्थ रहता है।
नेशनल एक्सप्रेस ब्यूरो, गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में शरद ऋतु के वरदान विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। य़ह कोरोना काल से 751 वाँ वेबिनार था।
वैदिक विदुषी श्रुति सेतिया ने कहा कि वर्ष में कुल 6 ऋतुएं होती हैं और इन ऋतुओं के अनुसार निर्देशित आहार विहार को अपनाने वाला ही सदा स्वस्थ रहता है। आयुर्वेद में इन 6 ऋतुओं के लिए अलग अलग आहार विहार का वर्णन मिलता है, जिसे अपना कर ही आरोग्य और आनंद की प्राप्ति संभव है।आश्विन कार्तिक मास की अवधि शरद ऋतु कहलाती है।शरद ऋतु के आहार विहार तथा रोगोपचार की चर्चा के क्रम में आयुर्वेद में यह भी बताया गया है कि यह काल शक्ति संचय, एवं रोग मुक्ति का काल है।सूर्य की गरम किरणों के प्रभाव से शरीर में संचित पित्त शरद ऋतु में प्रकुपित जो जाता है तथा रक्त भी पित्त के प्रकुपित होने से दूषित हो जाता है, ऐसी स्थिति में आहार विहार संबंधी नियमों का पालन आरोग्य लाभ के लिए अति आवश्यक है।शरद ऋतु में प्रायः ऐसा भोजन लेना चाहिए जो पित्त नाशक का कार्य करता हो।शरद ऋतु में हरड़ का प्रयोग विशेष रूप से लाभप्रद है।
शरद ऋतु के आगमन से पूरे वातावरण में एक विशेष तरह की निर्मलता का संचार होता है।यह ऋतु मन ओर शरीर दोनों को संतुलित करने वाली मानी गई है।शरद ऋतु में पित्त प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए शोधन उपक्रम अत्यंत प्रभावी होते हैं।शरद ऋतु में यह अवसर होता है कि हम उचित आहार विहार, शोधन और संतुलित जीवन शैली से अपने शरीर को शुद्ध करें और रोगों से सुरक्षित रखें।यह ऋतु न केवल आनंद और उत्सव का प्रतीक है बल्कि स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक साधना का स्वर्णिम अवसर भी है। यजुर्वेद में इसे दीघार्यु ओर प्रचुरता से जिए जाने वाले जीवन के रूप में वर्णित किया गया है।
"मुझे सौ शरद ऋतु जीने दो"
"मुझे सौ शरद ऋतु देखने दो"।
मुख्य अतिथि कृष्णा पाहुजा व अध्यक्ष कुसुम भण्डारी ने भी शरद ऋतु के लाभ बताएं।परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
गायिका कौशल्या अरोड़ा, शोभा बत्रा, संतोष धर, जनक अरोड़ा, सुमित्रा गुप्ता, कमला हंस आदि के मधुर भजन हुए।

