इंडिगो उड़ान संकट: यात्रियों को मुआवजा देने के निर्देश को लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई

नेशनल एक्सप्रेस डिजिटल डेस्क
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दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें केंद्र सरकार और इंडिगो एयरलाइन को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

नयी दिल्ली, भाषा। दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें केंद्र सरकार और इंडिगो एयरलाइन को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे उन सभी यात्रियों को टिकट की पूरी कीमत का चार गुना मुआवजा दें जिनके टिकट नवंबर और दिसंबर के दौरान नयी उड़ान ड्यूटी समय सीमा (एफडीटीएल) के लागू होने के बाद रद्द कर दिये गए थे। इस जनहित याचिका की सुनवाई बुधवार को मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष होगी। इस याचिका में संकट को उत्पन्न करने में नागरिक उड्डयन निदेशालय (डीजीसीए) की लापरवाही और चूक की पहचान करने के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या लोकपाल द्वारा जांच का भी अनुरोध किया गया है।

याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय और उपभोक्ता मामलों के विभाग को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत इंडिगो के खिलाफ ‘‘सामूहिक मुकदमा’’ (क्लास एक्शन सूट) शुरू करने का निर्देश दिया जाए, ताकि पिछले कुछ दिनों में इस संकट के कारण यात्रियों को हुई परेशानी और नुकसान की भरपाई की जा सके। याचिकाकर्ता ‘सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज’ (सीएएससी) के अध्यक्ष प्रोफेसर विक्रम सिंह के अनुसार, इंडिगो की इस घटना ने विमानन क्षेत्र में व्यापक चिंता पैदा कर दी है और हजारों उड़ानों के अचानक बाधित होने और अंतिम समय में रद्द होने के कारण फंसे हुए यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा है।

अधिवक्ताओं विराग गुप्ता, शौर्य तिवारी और रूपाली पंवार द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘इंडिगो लगभग 410 विमानों का संचालन करती है, जिनमें 5,700 पायलट कार्यरत हैं, यानी प्रति विमान लगभग 14 पायलट। कर्मचारियों की यह सीमित संख्या अपर्याप्त है क्योंकि नये नियमों के अनुसार इतने ही उड़ानों को संचालित करने के लिए अधिक पायलट की आवश्यकता है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘जब नये एफडीटीएल नियमों के कारण पायलट की उपलब्धता कम हो गई और राष्ट्रीय विमानन संकट उत्पन्न हो गया। तब मौजूदा कानूनों के अनुसार सुधारात्मक, दंडात्मक कार्रवाई करने और उचित मुआवजा देने के बजाय, मामले को जांच के नाम पर भटकाया जा रहा है और नये कानूनों की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।’’

इसमें केंद्र सरकार और इंडिगो एयरलाइन का संचालन करने वाली ‘इंटरग्लोब एविएशन’ को निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि वे उन सभी यात्रियों को टिकट की पूरी कीमत का चार गुना मुआवजा दें, जिनके टिकट एफडीटीएल के लागू होने के बाद नवंबर और दिसंबर के दौरान रद्द कर दिए गए थे। इंडिगो ने मंगलवार को कहा था कि दिल्ली हवाई अड्डे पर खराब मौसम के कारण हुई बाधाओं के कारण उसने अपने नेटवर्क की 110 उड़ानों को रद्द कर दिया।

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने 10 दिसंबर को इंडिगो की उड़ानों के रद्द होने से उत्पन्न संकट को रोकने के लिए समय पर कार्रवाई न करने पर केंद्र सरकार से सवाल किया था और पूछा था कि लाखों यात्रियों के फंसे होने और अन्य एयरलाइन द्वारा भारी किराया वसूलने के बीच स्थिति को इतना बिगड़ने क्यों दिया गया। अदालत इंडिगो द्वारा सैकड़ों उड़ान रद्द किए जाने से प्रभावित यात्रियों को सहायता और भुगतान की गई राशि वापस दिलाने के लिए केंद्र को निर्देश देने संबंधी एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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