धनतेरस का इतिहास और पौराणिक कथाएँ

नेशनल एक्सप्रेस डिजिटल डेस्क
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विजय कुमार प्रसाद की कलम से

धनतेरस मुख्य रूप से स्वास्थ्य, समृद्धि और धन का प्रतीक है। इस दिन न केवल धन की देवी लक्ष्मी और कोषाध्यक्ष कुबेर की पूजा की जाती है, बल्कि सबसे प्रमुख रूप से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती मनाई जाती है।

धनतेरस, जिसे 'धनत्रयोदशी' भी कहा जाता है, दीपावली के पंच-दिवसीय पर्व का पहला और अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से स्वास्थ्य, समृद्धि और धन का प्रतीक है। इस दिन न केवल धन की देवी लक्ष्मी और कोषाध्यक्ष कुबेर की पूजा की जाती है, बल्कि सबसे प्रमुख रूप से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती मनाई जाती है। धनतेरस की शुरुआत से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं:

भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य (इतिहास):

इस त्योहार का सबसे मुख्य संबंध *समुद्र मंथन* से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र का मंथन किया, तो कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में *अमृत कलश* और आयुर्वेद का ग्रंथ लेकर प्रकट हुए।

भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंशावतार और चिकित्सा एवं आयुर्वेद का देवता माना जाता है। चूंकि वे अमृत (स्वास्थ्य और अमरता का प्रतीक) लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को स्वास्थ्य और आरोग्य के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसी कारण से भारत सरकार द्वारा धनतेरस को "राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस" के रूप में भी मनाया जाता है।

यमदीपदान की कथा: एक अन्य कथा राजा हिम के पुत्र से जुड़ी है। ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि राजा के पुत्र की मृत्यु उसकी शादी के चौथे दिन सर्पदंश से हो जाएगी। जब उसकी पत्नी को यह पता चला, तो उसने उस रात अपने पति को सोने नहीं दिया। उसने महल के द्वार पर अपने सारे सोने-चांदी के आभूषणों और सिक्कों का ढेर लगा दिया और चारों ओर दीपक जला दिए। जब मृत्यु के देवता यमराज सर्प के रूप में आए, तो दीपकों की तेज रोशनी और आभूषणों की चमक से उनकी आँखें चौंधिया गईं। वह ढेर पर चढ़कर बैठ गए और राजकुमार की पत्नी द्वारा गाए जा रहे भजनों को सुनते रहे। सुबह होते ही वह बिना राजकुमार के प्राण लिए वापस लौट गए। इसी कथा के कारण धनतेरस की शाम को परिवार की अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए घर के बाहर 'यमदीपदान' (यमराज के लिए दीपक जलाना) की परंपरा है। यह दीपक दक्षिण दिशा की ओर जलाया जाता है।

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सनातन परंपरा से जुड़ाव

धनतेरस भारतीय सनातन परंपरा में गहराई से निहित है। यह केवल धन कमाने का दिन नहीं है, बल्कि यह जीवन के दो सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों का उत्सव है:

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'धर्म' और 'अर्थ' का संगम: सनातन धर्म 'पुरुषार्थ चतुष्टय' (जीवन के चार लक्ष्य) - धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष पर आधारित है। धनतेरस 'अर्थ' (धन) के महत्व को स्वीकार करता है, लेकिन इसे 'धर्म' (नैतिकता) के साथ जोड़ता है।

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 स्वास्थ्य का महत्व (आरोग्य): भगवान धन्वंतरि की पूजा यह संदेश देती है कि सच्चा धन अच्छा स्वास्थ्य है। "पहला सुख निरोगी काया" की अवधारणा इसी से जुड़ी है। यह पर्व याद दिलाता है कि समृद्धि का आनंद तभी लिया जा सकता है जब व्यक्ति स्वस्थ हो।

  जीवन और मृत्यु का संतुलन: यमदीपदान की परंपरा सनातन परंपरा के जीवन-मृत्यु के चक्र की समझ को दर्शाती है। यह अकाल मृत्यु से बचने और एक पूर्ण, धर्मपरायण जीवन जीने की प्रार्थना का प्रतीक है।

 पवित्रता और स्वच्छता: धनतेरस से ही दीपावली के लिए घरों की सफाई और सजावट शुरू हो जाती है, जो आंतरिक और बाहरी शुद्धि का प्रतीक है, ताकि देवी लक्ष्मी का स्वागत किया जा सके।

धनतेरस का आर्थिक महत्व

धनतेरस का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसे "आर्थिक उत्सव" कहना गलत नहीं होगा।

शुभ खरीदारी (महा-मुहूर्त): यह दिन किसी भी प्रकार की खरीदारी, विशेषकर धातु (सोना, चांदी, पीतल, स्टील) खरीदने के लिए वर्ष का सबसे शुभ दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तु में तेरह गुना वृद्धि होती है।

बाजार में उछाल: धनतेरस पर उपभोक्ता अपनी बचत को बाजार में खर्च करते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को भारी बढ़ावा मिलता है। यह कई क्षेत्रों के लिए साल का सबसे बड़ा बिक्री का दिन होता है।

प्रमुख क्षेत्र:ज्वैलरी: सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण और बर्तन की बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर होती है। लोग इसे शगुन और निवेश दोनों के तौर पर खरीदते हैं।

ऑटोमोबाइल: हजारों लोग अपनी कार या बाइक की डिलीवरी विशेष रूप से धनतेरस के दिन लेना पसंद करते हैं।

  बर्तन: स्टील और पीतल के बर्तन खरीदना एक पुरानी परंपरा है, जो हर घर में निभाई जाती है। इलेक्ट्रॉनिक्स और रियल एस्टेट: आधुनिक समय में लोग इस शुभ दिन पर नए घर, फोन, टीवी और अन्य घरेलू सामान भी खरीदते हैं।

उपभोक्ता विश्वास का प्रतीक: धनतेरस पर होने वाली बिक्री को अक्सर देश के उपभोक्ता विश्वास और समग्र आर्थिक स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है।

संक्षेप में, धनतेरस एक बहुआयामी त्योहार है जो स्वास्थ्य (धन्वंतरि), धन (लक्ष्मी/कुबेर) और जीवन की रक्षा (यम) के सिद्धांतों को एक साथ लाता है। यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रमुख चालक भी है।