दुश्मनों को कभी कम न आंकें: राजनाथ ने शीर्ष सैन्य कमांडरों से कहा

नेशनल एक्सप्रेस डिजिटल डेस्क
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इतिहास में भारत के साहस और संयम के प्रतीक के रूप में दर्ज होगा।

नई दिल्ली, भाषा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इतिहास में भारत के साहस और संयम के प्रतीक के रूप में दर्ज होगा। उन्होंने सेना से दुश्मनों को कभी कम न आंकने और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सतर्क रहने का आह्वान किया। जैसलमेर में भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों को संबोधित करते हुए, सिंह ने सेना से भविष्य की चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सूचना युद्ध, आधुनिक रक्षा बुनियादी ढांचे के विकास और आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत के सैन्य कौशल और राष्ट्रीय चरित्र का प्रतीक बताया तथा कहा कि इसके माध्यम से सैनिकों ने प्रदर्शित किया कि उनकी ताकत केवल हथियारों में ही नहीं, बल्कि उनके नैतिक अनुशासन और रणनीतिक स्पष्टता में भी निहित है। उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर इतिहास में केवल एक सैन्य अभियान के रूप में ही नहीं, बल्कि राष्ट्र के साहस और संयम के प्रतीक के रूप में भी दर्ज होगा।’’

सिंह ने कहा, ‘‘आतंकवादियों के खिलाफ हमारी सेना द्वारा की गई कार्रवाई नीतिगत सटीकता और मानवीय गरिमा, दोनों के अनुरूप थी। ऑपरेशन अभी खत्म नहीं हुआ है। शांति के लिए हमारा मिशन तब तक जारी रहेगा जब तक एक भी आतंकवादी मानसिकता वाला व्यक्ति जिंदा है।’’ सैन्य कमांडरों ने गैर पारंपरिक (ग्रे जोन) युद्ध और संयुक्त कार्रवाई की रूपरेखा सहित प्रमुख सुरक्षा पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया।

इस सम्मेलन में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह और सभी सेना कमांडर उपस्थित थे। रक्षा मंत्री ने कमांडरों से भविष्य के अभियानों के लिहाज से सेना की तत्परता सुनिश्चित करने के लिए रक्षा कूटनीति, आत्मनिर्भरता, सूचना युद्ध, रक्षा अवसंरचना और बल आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

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उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों के पेशेवर रुख, साहस और जुझारूपन की सराहना की और उच्चतम स्तर की परिचालन तैयारियों को बनाए रखने के लिए अत्याधुनिक तकनीक, अवसंरचना और सहायता प्रदान करने की सरकार की अटूट प्रतिबद्धता पर जोर दिया। सिंह ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास में सेना की भूमिका की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 का निरस्त होना ऐतिहासिक था। आज, वहां की सड़कें अशांति से नहीं, बल्कि आशा से भरी हैं।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘लोग अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निर्णय लेने की प्रणाली अब स्थानीय लोगों के हाथों में है। भारतीय सेना ने इस प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’ उत्तरी सीमा की स्थिति पर, सिंह ने कहा कि चीन के साथ बातचीत और तनाव कम करने के कदमों ने भारत की संतुलित और दृढ़ विदेश नीति को प्रदर्शित किया है।

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उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति स्पष्ट है कि बातचीत जारी रहेगी और सीमा पर हमारी तत्परता बरकरार रहेगी।’’ सैनिकों की इच्छाशक्ति और अनुशासन की सराहना करते हुए, सिंह ने इसे इस बात का प्रमाण बताया कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे अनुकूलनशील सेनाओं में एक मानी जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘चाहे वह सियाचिन का बर्फीला इलाका हो, या राजस्थान के रेगिस्तान की चिलचिलाती गर्मी हो, या घने जंगलों में आतंकवाद विरोधी अभियान हों, हमारे सैनिकों ने हमेशा अपनी क्षमता और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कठिन परिस्थितियों और विविध चुनौतियों के बावजूद, वे बदलावों के साथ तालमेल बिठाते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करते हैं।’’

सिंह ने कहा कि आज का युद्ध तकनीक-आधारित है, फिर भी सैनिक देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं। उन्होंने कहा कि मशीनें ताकत बढ़ाती हैं, लेकिन परिणाम देने की शक्ति मानवीय भावना में ही होती है। सिंह ने कहा कि आधुनिक युद्ध साइबरस्पेस, सूचना, इलेक्ट्रॉनिक व्यवधान और अंतरिक्ष नियंत्रण जैसे अदृश्य क्षेत्रों में लड़े जाते हैं, और नवीनतम तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बिठाने के साथ-साथ सैनिकों की त्वरित निर्णय लेने की क्षमता और इच्छाशक्ति भी महत्वपूर्ण है।

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