सामरिक क्षेत्र में स्वदेशी का संकल्प
डॉ दिलीप अग्निहोत्री की कलम से
दुनिया में देश का महत्व बढ़ा है। उत्तर प्रदेश के डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर से देश को रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और मेक इन इण्डिया को बढ़ावा देने में सहायता मिल रही है। एक समय था जब भारत रक्षा सामग्री का सबसे बड़ा आयातक था। इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का कोई विजन ही नहीं था।
भारत के रक्षा क्षेत्र में नए अध्याय जुड़ रहे है। स्वदेशी और स्वावलंबन का आत्मनिर्भर भारत अभियान निरंतर आगे बढ़ रहा है। इसमें भारत को महाशक्ति बनाने का बुलंद मंसूबा है। दुनिया में देश का महत्व बढ़ा है। उत्तर प्रदेश के डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर से देश को रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और मेक इन इण्डिया को बढ़ावा देने में सहायता मिल रही है। एक समय था जब भारत रक्षा सामग्री का सबसे बड़ा आयातक था। इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का कोई विजन ही नहीं था। भारत को हथियारों के उत्पाद में आत्मनिर्भर बन रहा है। इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए भारत को हथियारों का निर्यातक बन गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ सरोजिनी नगर स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट से तैयार की गई ब्रह्मोस मिसाइलों के पहले बैच का फ्लैग ऑफ किया। सामरिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान का नया अध्याय कायम हुआ।
अत्याधुनिक ब्रह्मोस यूनिट उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना है। यहां मिसाइलों के असेंबली,इंटीग्रेशन और टेस्टिंग का कार्य उच्च तकनीकी मानकों के अनुरूप किया जाता है। इस यूनिट से पहली खेप के रवाना होने के साथ ही प्रदेश मेक इन इंडिया,मेक फॉर द वर्ल्ड’ के अभियान बुलंद हुआ है। इतिहास कायम हुआ। यहां निर्माण से लेकर अंतिम परीक्षण तक की पूरी प्रक्रिया स्वदेशी रही है। यह गौरव उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर को हासिल हुआ है। इससे उत्तर प्रदेश को भारत के अगले एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण हब के रूप में स्थापित होगा। भारत शक्तिशाली और स्वावलंबी बन रहा है। यही कारण है कि भारत आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए सफल सर्जिकल स्ट्राइक करता है। चीन को डोकलाम से अपने कदम पीछे खींचने पड़ते हैं। यह न्यू इंडिया का प्रभाव है। इसमें विश्व में शांति व सौहार्द के प्रति भारत की परम्परागत नीति है, लेकिन रक्षा तैयारियों पर किसी प्रकार की लापरवाही नहीं है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता एक दम नहीं लाई जा सकती। भारत ने स्वदेशी रक्षा उत्पाद के प्रयास शुरू किए। इसके साथ ही लड़ाकू विमान व अन्य रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबित समझौतों पर अमल किया। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान ने दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया है।
भारत अभी तक सामरिक हथियारों का सबसे बड़ा आयातक माना जाता था। अब अन्य देशों को भारत सामरिक उत्पाद का निर्यात कर रहा है। अन्य क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत अनेक योजनाएं संचालित हो रही हैं।
उत्तर प्रदेश के डिफेंस इंडस्ट्रियल काॅरिडोर सफलता के नए आयाम स्थापित हो रहे हैं। वर्ल्ड मिलिट्री स्पेंडिंग लगभग दो ट्रिलियन यूएस डॉलर पर पहुंच चुकी है। डिफेंस रिलेटेड डोमेस्टिक डिमांड में भी बढ़ोतरी होगी। भारत सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर बन रहा है। देश का विकास पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर के बीच समन्वय से हो सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर के शत प्रतिशत प्रतिभागिता की व्यवस्था की थी। कास्टिंग और फोर्जिंग के क्षेत्र में जिन भारतीय कंपनियों ने दुनिया में बड़ा नाम कमाया है। पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड उनमें से एक है। लखनऊ का प्लांट एयरोस्पेस और एयरोस्पेस में टाइटेनियम और निकिल के आलाय बनाने वाली पहली मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट है।
भारत के अलावा अमेरिका, फिनलैंड,चीन,नॉर्वे व स्वीडन की बड़ी और प्रतिष्ठित कंपनियों को पीटीसी द्वारा अपने उत्पाद उपलब्ध कराए जा रहे हैं। रक्षा विनिर्माण सुविधा विमान के इंजन,हेलीकॉप्टर इंजन,विमानों के लिए संरचनात्मक भागों,ड्रोन और यूएवी,पनडुब्बियों, अल्ट्रा लाइट आर्टिलरी गन, स्पेस लॉन्च व्हीकल और स्ट्रैटेजी सिस्टम आदि का निर्माण करेगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कई भूमिकाओं में काम आने वाले दस टन के भारतीय हेलीकॉप्टर के डिजाइन और विकास में तेजी लाने का आह्वान किया। हेलीकॉप्टर प्रौद्योगिकी में प्रगति हमारे रक्षा क्षेत्र के लिए प्रभावी होगी। भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई पहचान मिलेगी। अब तक निर्मित लगभग सैकड़ों चेतकों ने पूरे समर्पण के साथ युद्ध और शांति के समय में राष्ट्र की सेवा की है।
भारत ने स्वदेश में डिजाइन और विकसित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुव और इसके वेरिएंट का निर्माण किया। पांच टन की श्रेणी में हेलीकॉप्टरों के डिजाइन, विकास और संचालन में अपनी ताकत दिखाई है। उन्होंने हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को युद्ध अभियानों के लिए हल्के हेलीकॉप्टरों में देश की क्षमता का यह एक उदाहरण है। वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए रक्षा उत्पादन और तैयारियों में आत्म निर्भरता हासिल करने का सरकार ने संकल्प लिया है।
अमेठी में भारत-रूस के संयुक्त उपक्रम इंडो रशियन राइफल्स कंपनी राष्ट्र को समर्पित हो चुकी हैं। उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति लागू की है। अब भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा कर रहा है। लखनऊ पहुंचने के पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पुणे में कहा था कि 'ऑपरेशन सिंदूर' भारत की बढ़ती स्वदेशी शक्ति का एक ज्वलंत प्रमाण है, जो देश में आत्मनिर्भर रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के सरकार के अथक प्रयासों से प्राप्त हुआ है। सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना शुरू किया, तो आरंभ में यह कठिन लग रहा था, लेकिन घरेलू रक्षा विनिर्माण के विस्तार में कोई कसर न छोड़ते हुए पूरी कोशिश की गई। इसी संकल्प के कारण सकारात्मक परिणाम मिलने लगे। स्वतंत्रता के बाद से ही भारत हथियारों के लिए दूसरे देशों पर बहुत अधिक निर्भर रहा हैं। हम हथियार खरीदने के आदी हो गए थे। क्योंकि हमारे पास भारत में निर्माण करने की इच्छाशक्ति की कमी थी। रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने संबंधी क़ानून भी नहीं थे। वर्तमान सरकार ने भारत को सामरिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया। यह संकल्प सिद्ध हो रहा है। विगत दस
वर्षों में वार्षिक रक्षा उत्पादन छियालिस हजार करोड़ रुपये से बढक़र रिकॉर्ड डेढ़ लाख करोड़ रुपये का हो गया है। जिसमें निजी क्षेत्र का योगदान लगभग तैतीस हजार करोड़ रुपये का है। अगले चार वर्षों में तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा विनिर्माण लक्ष्य और पचास हजार करोड़ रुपये के निर्यात लक्ष्य हासिल किया जाएगा।

