भारत की स्वदेशी शक्ति
डॉ दिलीप अग्निहोत्री की कलम से
आपरेशन सिंदूर में ऐसी इमारतें जमीन में मिला दी गईं। उनके पुरानी तस्वीर पाकिस्तान को ही बेनकाब करती है। अमेरिका और यूरोप में हुए आतंकी हमलों में भी इन्हीं संगठनों की भूमिका थी। पाकिस्तान ने स्वयं इन आतंकी हमले की जिम्मेदारी कबूल कर चुका है।
आपरेशन सिंदूर में भारत की स्वदेशी शक्ति का शानदार प्रदर्शन हुआ था। न्यूनतम समय में आतंकी ठिकानों को नष्ट करने का सटीक लक्ष्य हासिल किया गया था। यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत अभियान से ही संभव हुई थी। इसमें सामरिक क्षेत्र की तैयारियों का विषय भी शामिल था। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इन तथ्यों का उल्लेख पुणे में किया।
पाकिस्तान की आतंकी हरकतें जगजाहिर है। प्रत्येक आतंकी घटना के तार परोक्ष या अपरोक्ष रूप में पाकिस्तान से जुड़े होते है। यहां आतंकी संगठनों को पूरा संरक्षण मिलता है। वहां की सेना आतंकियों को प्रशिक्षण देती है। भव्य इमारतों में आतंकी संगठनों के कैंप और कार्यालय है। सब कुछ खुलेआम है। व्यापारिक या सरकारी प्रतिष्ठानों की तरह आतंकी संगठनों की इमारतें हैं। आपरेशन सिंदूर में ऐसी इमारतें जमीन में मिला दी गईं। उनके पुरानी तस्वीर पाकिस्तान को ही बेनकाब करती है। अमेरिका और यूरोप में हुए आतंकी हमलों में भी इन्हीं संगठनों की भूमिका थी। पाकिस्तान ने स्वयं इन आतंकी हमले की जिम्मेदारी कबूल कर चुका है।
पुख्ता सबूतों के बाद उसके पास कोई विकल्प भी नहीं था। पुलमावा आतंकी हमले को तो तत्कालीन मंत्री फवाद चौधरी ने इमरान सरकार की उपलब्धि बताया था। उसने ने संसद में कहा था कि पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बल के काफिले पर हुए हमले में पाकिस्तान का हाथ था। फवाद यहीं तक नहीं रुका था। उसने यह भी कहा कि पुलवामा हमला पाकिस्तान की कामयाबी है। फवाद चौधरी ने पुलवामा हमले का श्रेय इमरान खान और उनकी पार्टी को दिया। इस बयान से पाकिस्तान की सत्ता और सेना के लोगों के असली चेहरे सामने आ गए थे। यह पाकिस्तान की फितरत है। सरकार बदलने पर भी उसकी इस फितरत में कोई बदलाव नहीं होता है। यूरोप सहित दुनिया के अनेक देश आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहे हैं। दुनिया में शांति और मानवता का समर्थन करने वाले सर्जिकल स्ट्राइक को अपरिहार्य मानते है।
आतंकवादियों को सबक सिखाने के लिए यह रणनीति उचित है। राजनाथ सिंह ने पुणे में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की बढ़ती स्वदेशी शक्ति का एक ज्वलंत प्रमाण है, जो देश में आत्मनिर्भर रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के सरकार के अथक प्रयासों से प्राप्त हुआ है। सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना शुरू किया थे।तो आरंभ में यह कठिन लग रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में घरेलू रक्षा विनिर्माण के विस्तार में कोई कसर न छोड़ते हुए पूरी कोशिश की गई। इसी संकल्प के कारण सकारात्मक परिणाम मिलने लगे।
देश की स्वतंत्रता के बाद से ही हम हथियारों के लिए दूसरे देशों पर बहुत अधिक निर्भर रहे हैं। हम हथियार खरीदने के आदी हो गए थे क्योंकि हमारे पास भारत में निर्माण करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी थी और हमारे पास रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने संबंधी क़ानून भी नहीं थे। इसमें बदलाव की आवश्यकता थी। अब हमारा संकल्प है कि भारत अपने सैनिकों के लिए स्वदेश में निर्मित हथियार बनाए।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया ने हमारे सैनिकों की वीरता देखी। उन्होंने कहा कि निर्धारित व्यापक लक्ष्य देश में निर्मित रक्षा उपकरणों के उपयोग से ही हासिल किया है।

