भोजपुरी कहानी लेखन में सुभाष चंद्र यादव काफी सफल हैं : डॉ फूलचंद
भोजपुरी संगम की 188 वीं बइठकी में भोजपुरी कहानी 'दाही' की समीक्षा
नेशनल एक्सप्रेस ब्यूरो, गोरखपुर (अशोक लोहिया)। भोजपुरी में कहानी लेखन के मामले में भी वरिष्ठ कवि सुभाष यादव काफी सफल हैं। उन्होंने जिस मनोवैज्ञानिक ढंग से अपनी कहानी 'दाही' को रचा है, वह उन्हें भोजपुरी गद्य लेखन में बेहतर मुकाम दिलाएगा। डॉ. फूलचंद प्रसाद गुप्त ने यह विचार खरैया पोखरा, बशारतपुर में भोजपुरी संगम की 188 वीं बइठकी में आयोजित सुभाष यादव के कहानी पाठ के उपरान्त अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किया।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में कवि/कहानीकार सुभाष यादव ने अपनी भोजपुरी कहानी दाही का पाठ किया। इसके बाद समीक्षक वरिष्ठ कवि नंद कुमार त्रिपाठी ने काफी विस्तार से समीक्षा आलेख का वाचन किया। समीक्षक श्री त्रिपाठी ने अपने आलेख में कहानी की अच्छाइयों और उसमें छिटपुट मानवीय त्रुटियों की ओर सबका ध्यान खींचते हुए कहानीकार को शुभकामनाएं दीं। दूसरे समीक्षक नंद कुमार शर्मा नंद के समय से कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो पाने की वजह से उनका आलेख पढ़ा नहीं जा सका। वहीं कहानी पर रवींद्र मोहन त्रिपाठी, चंदेश्वर परवाना, वीरेंद्र मिश्र दीपक और राम समुझ सांवरा ने मौखिक टिप्पणियां की। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवि चंदेश्वर परवाना ने किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में बइठकी में उपस्थित कवियों चंद्रगुप्त शर्मा अकिंचन, सुभाष चंद्र यादव, डॉ. फूलचंद प्रसाद गुप्त, श्रीमती कमलेश मिश्रा, नंद कुमार त्रिपाठी, चंदेश्वर परवाना, वागेश्वरी मिश्र वागीश, वीरेंद्र मिश्र दीपक ,डॉ. मसरूरुल हसन बहार, राम समुझ सांवरा, कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, अरविंद अकेला, कुमार अभिनीत, राजेश कुमार दुबे, अजय कुमार यादव ने काव्यपाठ किया। इस अवसर पर केशव पाठक सृजन, ज्ञानेश नापित और डॉ. विनीत मिश्र समेत कई अन्य लोग मौजूद रहे।

