रामलीला का भव्य मंचन गौतम बुद्ध नगर के नोएडा स्टेडियम में संपन्न

रामलीला समिति के महासचिव संजय बाली ने मंगलवार को बताया कि राम लीला की प्रस्तुति में विभीषण शरणागत, समुद्र से विनती करना, प्रभु राम का समुद्र के प्रति क्रोध, नल नील द्वारा पुल बनाना।
ओ पी श्रीवास्तव (गौतमबुद्ध नगर)। रामलीला समिति के महासचिव संजय बाली ने मंगलवार को बताया कि राम लीला की प्रस्तुति में विभीषण शरणागत, समुद्र से विनती करना, प्रभु राम का समुद्र के प्रति क्रोध, नल नील द्वारा पुल बनाना, जामवंत द्वारा रावण को शिव ज्योतिर्लिंग की स्थापना के न्योता भिजवाना, रावण द्वारा रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना करना, अंगद रावण संवाद, लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध, मेघनाद द्वारा शक्ति प्रयोग से लक्ष्मण जी का मूर्छित होना है और उसके बाद हनुमान जी का संजीवनी बूटी के लिए पूरा पर्वत लाना, संजीवनी बूटी से लक्ष्मण जी का पुनः सचेत होना तक की लीलाओं का सुंदर और प्रभावशाली मंचन किया गया
मंचन की शुरुआत विशाल शरणागति से हुई, तत्पश्चात प्रभु श्री राम ने समुद्र से मार्ग के लिए विनती की परन्तु समुद्र ने श्रीराम की प्रार्थन को अनसुना कर दिया तब प्रभु राम ने क्रोधित होकर अग्निबाण का संधान किया जिससे घबराया हुआ समुद्र क्षमा मांगने लगा और उसने नल नील के द्वारा पुल बनाने की प्रार्थना, पुल बनने के बाद श्री राम ने रामेश्वरम की स्थापना हेतु जामवंत जी के द्वारा रावण को आमंत्रण भेजा, रावण माता सीता सहित पूजन के लिए आया और रामेश्वरम की स्थापना की।
पुल पार करने के उपरांत अंगद जी को रावण को समझाने के लिए भेजा परंतु रावण ने अहंकार से ग्रस्त होकर शांति का प्रस्ताव ठुकरा दिया और मेघनाथ को युद्ध के लिए भेजा, युद्ध में मेघनाथ ने ब्रह्म शक्ति का प्रयोग करके लक्ष्मण जी को मूर्छित कर दिया, सुषेण वैद्य ने प्रभु राम को बताया कि लक्ष्मण जी संजीवनी बूटी से जीवित हो सकते है, हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने उड़ चले और वहां हर बूटी को चमकते देख हनुमान जी पूरा पहाड़ ही उठा लाए और संजीवनी से लक्ष्मण जी सचेत हो उठे।
श्रीराम के रूप में अभिमन्यु चौधरी
लक्ष्मण के रूप में गर्व गुप्ता
सीताजी के रूप में तानिया कौर अरोड़ा
हनुमानजी के रूप में मोहित शर्मा
रावण की भूमिका में - अमित शर्मा
मेघनाद की भूमिका में - मनीष
कालनेमी के रूप में हरिओम
विभीषण की भूमिका में महेश
सुग्रीव की भूमिका में नितिन
प्रत्येक कलाकार ने अपने चरित्र में पूरी निष्ठा, भाव-भंगिमा और आत्मा से ऐसा जीवन संचार किया कि दर्शक भावविभोर हो उठे और तालियों की गूंज से बार-बार उनका स्वागत किया। मंच पर प्रस्तुत दृश्य मात्र नाटकीय अभिनय नहीं थे, बल्कि उनमें सनातन संस्कृति, धर्म, भक्ति तथा जीवन मूल्यों की सजीव छाया स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही थी। इस आयोजन ने दर्शकों को केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभूति और सांस्कृतिक चेतना से भी जोड़ दिया।समिति के सदस्यों ने दर्शकों से आग्रह किया कि वे आगामी लीलाओं में भी सपरिवार पधारें और इस पावन आयोजन का पूर्णतः आनंद लेकर अपने जीवन को संस्कारित करें।
आज मंचन के दौरान डा. टी.एन. गोविल, टी एन चौरसिया, अल्पेश गर्ग, केशव गंगल, डा . एस. पी. जैन, रामकुमार शर्मा, एन. पी. सिंह, रोहित श्रीवास्तव, एन के अग्रवाल, कुलदीप गोयल, लोकेश कश्यप, पी.के. गुप्ता, पुनीत शुक्ला, पुष्कर शर्मा, कुलभूषण बाली, प्रमोद रंगा, विकास तिवारी, आदित्य चौरसिया, मित्रा शर्मा, विपिन बंसल, अनिल गुप्ता समेत काफी संख्या में दर्शक उपस्थित रहें।