विकसित भारत संकल्प में अगली पीढ़ी व नए जीएसटी सुधार

प्रत्येक राज्य ने अपनी कर दरों, शुल्कों और प्रक्रियाओं को अपनाये रखा था, जिससे पूरे भारत में व्यापार व आर्थिक व्यवस्था जटिल और अनुपालन बोझिल हो गया था। व्यवसायों को अक्सर दोहराव वाले करों, असंगत नियमों और इनपुट के लिए सीमित ऋण प्राप्ति का सामना करना पड़ता था। नवीनतम सुधार जीएसटी संरचना का एक बड़ा सरलीकरण है।
वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) 2017 के सुधार से पहले, भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली अत्यधिक खंडित थी। प्रत्येक राज्य ने अपनी कर दरों, शुल्कों और प्रक्रियाओं को अपनाये रखा था, जिससे पूरे भारत में व्यापार व आर्थिक व्यवस्था जटिल और अनुपालन बोझिल हो गया था। व्यवसायों को अक्सर दोहराव वाले करों, असंगत नियमों और इनपुट के लिए सीमित ऋण प्राप्ति का सामना करना पड़ता था। नवीनतम सुधार जीएसटी संरचना का एक बड़ा सरलीकरण है। पहले 2017 की 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत दरों को हटाकर अब सिर्फ 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-स्लैब प्रणाली में बदलाव से अब कराधान अधिक पारदर्शी और पालन में सुगम हो जाएगा। इसके साथ-साथ पान मसाला, तंबाकू जैसे मादक पदार्थों और एरेटेड ड्रिंक्स, महंगी कारों, नौकाओं और निजी विमानों जैसे लक्जरी उत्पादों पर 40 प्रतिशत की दर निष्पक्षता और राजस्व संतुलन सुनिश्चित करता है।इसके साथ ही, पंजीकरण और रिटर्न फाइलिंग को सरल बनाया गया है, रिफंड में तेजी लाई गई है और अनुपालन लागत कम की गई है, जिससे व्यवसायों, विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्टअप पर बोझ कम होगा। वहीं मध्य वर्ग के लिए एक राहत का आर्थिक कदम है। इन सुधारों से रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर करों को कम किया गया है जिससे आम मध्यवर्गीय परिवारों में प्रत्यक्ष बचत होगी।एसी, डिशवॉशर और टीवी (एलसीडी, एलईडी) पर
जीएसटी दर में कटौती दोहरी राहत है।यह भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इको-सिस्टम को सुदृढ़ करते हुए उपभोक्ताओं के लिए वहनीयता बढ़ाता है।
आवश्यक वस्तुओं पर कर राहत: व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर पूर्ण जीएसटी छूट। अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर (UHT) दूध, पनीर और भारतीय ब्रेड जैसी आवश्यक वस्तुओं पर अब शून्य जीएसटी लगेगा।
उपभोक्ता वस्तुएँ: छोटी कारों, टीवी, एयर कंडीशनर, सीमेंट और ऑटो पार्ट्स पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
इन कटौतियों से विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलने, हरित ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा मिलने तथा घरेलू मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है। साथ ही आम भारतीयों को सस्ती ऊर्जा आसानी से सुलभ होगी।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य उपकरण: 33 जीवन रक्षक दवाओं पर जीएसटी 12% से घटाकर शून्य कर दिया गया है। कैंसर और दुर्लभ बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली तीन महत्त्वपूर्ण दवाओं पर जीएसटी 5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है, जिससे स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच मजबूत होने की उम्मीद बढ़ेगी।
कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये सहायता: हम सब जानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था अब भी बड़े पैमाने पर कृषि क्षेत्र पर निर्भर है ऐसे में
ट्रैक्टर, हार्वेस्टर और कंपोस्टर जैसी मशीनरी: जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया। जो कि इस क्षेत्र से जुड़े किसान भाईयों के लिए बड़ा सुधार है। उर्वरक इनपुट जैसे सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड और अमोनिया: जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया। वही लघु व कुटीर उद्योग में हस्तशिल्प, संगमरमर और चमड़े की वस्तुओं जैसी श्रम-प्रधान वस्तुओं पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया।
व्यापार सुविधा और विवाद समाधान: वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) दिसंबर 2025 तक चालू हो जाएगा। रिफंड और पंजीकरण के लिये प्रक्रियागत सुधारों से विवाद समाधान में सुधार होगा, इस तरह के न्यायलयीन प्रकरणों में कमी आएगी तथा व्यवसायों, विशेषकर MSME के लिये पूर्वानुमानशीलता उपलब्ध होगी।
जीएसटी के लाभों की बात की जाए तो गंतव्य-आधारित कर (Destination-Based Tax): कर वस्तुओं/सेवाओं के उपभोग स्थान पर वसूला जाता है, जिससे व्यवसायों को बेहतर नकदी प्रवाह और कार्यशील पूंजी का लाभ मिलता है। वही व्यवसाय करने में सुगमता प्रौद्योगिकी-आधारित प्रणाली, न्यूनतम मानव हस्तक्षेप, अनुपालन, रिफंड और पंजीकरण को सरल बनाती है।
मेक इन इंडिया को बढ़ावा घरेलू वस्तुओं को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाता है। निर्यात की दृष्टि से विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) को वस्तुओं या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति को जीएसटी के तहत शून्य-दर माना जाता है, जिससे शीघ्र रिफंड मिलता है। यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देता है और भुगतान संतुलन में सुधार करता है। वहीं राजस्व एवं अनुपालन कर आधार का विस्तार करता है, सरकारी राजस्व बढ़ाता है, पारदर्शिता में सुधार करता है और GDP को 1.5–2% तक बढ़ाता है। वर्ष 2024–25 में जीएसटी ने अब तक का सबसे अधिक सकल संग्रह ₹22.08 लाख करोड़ दर्ज किया, जो 9.4 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। औसत मासिक संग्रह ₹1.84 लाख करोड़ रहा।अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार न केवल कर दरों को कम करने के लिए, बल्कि विकास का एक अच्छा चक्र बनाने के लिए भी डिज़ाइन किए गए हैं।कम कीमतें, उच्च मांग: सस्ती वस्तुएं और सेवाएं घरेलू बचत को बढ़ाती हैं और उपभोग को प्रोत्साहित करती हैं।
एमएसएमई के लिये सहायता: सीमेंट, ऑटो पार्ट्स और हस्तशिल्प जैसे इनपुट पर कम दरें लागत कम करती हैं और छोटे व्यवसायों को अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाती हैं।
जीवन की सुगमता: दो दरों की संरचना का अर्थ है कम विवाद, त्वरित निर्णय और सरल अनुपालन।
व्यापक कर नेट: सरल दरें अनुपालन को प्रोत्साहित करती हैं, कर आधार का विस्तार करती हैं और राजस्व में सुधार करती हैं। वहीं विनिर्माण के लिये सहायता इन्वर्टेड शुल्क संरचनाओं को ठीक करने से घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्यात को बढ़ावा मिलता है। जैसा कि पिछले सुधारों में देखा गया है, बेहतर अनुपालन के साथ कम दरें राजस्व संग्रह में वृद्धि करती हैं।
आर्थिक गति: कम लागत → उच्च मांग → बड़ा कर आधार → मजबूत राजस्व → सतत विकास ।
सामाजिक सुरक्षा: बीमा और आवश्यक दवाओं पर जीएसटी की छूट घरेलू सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच को सुदृढ़ करती है।साथ में, ये सुधार सुनिश्चित करते हैं कि जीएसटी नागरिक-केंद्रित, व्यापार अनुकूल और भारत की वैश्विक विकास महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप हो।
सरलीकृत जीएसटी संरचना को अपनाना और दरों में व्यापक कटौती भारत की विकास व कर यात्रा में एक नया अध्याय है।नागरिकों के लिए वहनीयता, व्यवसायों के लिए प्रतिस्पर्धा और अनुपालन में पारदर्शिता पर ध्यान केंद्रित करके, ये सुधार जीएसटी को न केवल एक कर प्रणाली, बल्कि समावेशी समृद्धि और आर्थिक रूपांतरण के लिए उत्प्रेरक भी बनाते हैं। 22 सितंबर 2025 से प्रभावी हुए, ये सुधार एक सरल, निष्पक्ष और विकास उन्मुख जीएसटी संरचना के निर्माण के लिए विकसित भारत संकल्प की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं, जिससे लोगों के लिए जीवन में सुगमता और उद्यमों के लिए व्यापार करने में आसानी दोनों सुनिश्चित होते हैं। अंतोगत्वा प्रधानमंत्री श्री मोदी के शब्दों में कहे तो जीएसटी 2.0 सुधार देश के लिए समर्थन और विकास की दोहरी खुराक है, और अब जीएसटी और भी सरल हो गया है। उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग, नव मध्यम वर्ग, गरीब, युवा और महिलाएं जीएसटी सुधारों से लाभान्वित होंगे व विकसित तथा आत्मनिर्भर भारत की ओर एक बड़ा व साहसी कदम है।
भूपेन्द्र भारतीय, अधिवक्ता व लेखक