पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन में FIR दर्ज होने के विरोध में शिक्षक-कर्मचारियों ने किया जमकर प्रदर्शन
पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली के लिए संघर्ष कर रहे शिक्षक व राज्य कर्मचारी संगठनों ने केंद्र एवं दिल्ली सरकार द्वारा उनके आन्दोलन के नेताओं पर FIR दर्ज किए जाने के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया।
नेशनल एक्सप्रेस, मुरादाबाद। पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली के लिए संघर्ष कर रहे शिक्षक व राज्य कर्मचारी संगठनों ने केंद्र एवं दिल्ली सरकार द्वारा उनके आन्दोलन के नेताओं पर FIR दर्ज किए जाने के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। ऑल टीचर्स एंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन (अटेवा) और एनएमओपीएस (NMOPS) के आव्हान पर देश के विभिन्न हिस्सों में इस मुद्दे को लेकर जारी आंदोलन की गरमी ने फिर एक बार जोर पकड़ लिया है।25 नवंबर की रैली और FIR का मामला25 नवंबर 2025 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर समस्त विभागों के शिक्षक और राज्य कर्मचारी पुराने पेंशन बहाली के समर्थन में बड़ी रैली में शामिल हुए थे।

इस रैली में केंद्र सरकार द्वारा लागू नए पेंशन सिस्टम (NPS/UPS) के खिलाफ जमकर विरोध जताया गया और पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आवाज बुलंद की गई।रैली के बाद कुछ प्रांतीय पदाधिकारियों पर सरकार ने FIR दर्ज कर दी, जिससे पूरे देश में कर्मचारी संगठनों और शिक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया। इस कदम को आंदोलन को दबाने की साजिश माना जा रहा है। FIR के विरोध में 2 दिसंबर को जनपद में भी व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें विभिन्न कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी तथा सदस्य हाजिर रहे।
जनपद के शिक्षक-कर्मचारी सक्रियजनपद में आज 2 दिसंबर को अटेवा और अन्य कर्मचारी संगठनों के बैनर तले FIR की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया। शिक्षक और कर्मचारी सड़कों पर उतरकर सरकार के इस दमनकारी रवैये के खिलाफ नाराजगी जताई तथा पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर एकजुटता दिखाई।डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष संदीप बडोला ने इस दौरान कहा, "केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा प्रांतीय पदाधिकारियों पर FIR दर्ज कर आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है।
यह हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है। अटेवा इस कृत्य की घोर निंदा करता है। यदि FIR वापस नहीं ली गई तो कर्मचारी संगठन और भी बड़े आंदोलन करने को बाध्य होंगे। कर्मचारियों में जो रोष है, वह पुरानी पेंशन बहाली तक खत्म नहीं होगा।"अटेवा महामंत्री का संदेशअटेवा के महामंत्री हेमन्त चौधरी ने कहा कि पिछले एक दशक से पुरानी पेंशन योजना बहाली को लेकर अटेवा लगातार संघर्षरत है। उन्होंने बताया, "यह पहली बार है जब किसी भी कर्मचारी पर FIR दर्ज कर दमनकारी नीति अपनाई गई है।
यह एक गम्भीर मामला है, लेकिन इससे कर्मचारी भयभीत नहीं होंगे। आंदोलन पुरानी पेंशन बहाली तक जारी रहेगा। हमारा संघर्ष न्यायपूर्ण और अडिग है।"हेमन्त चौधरी ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह अपने दमनात्मक रवैये को बदलें और शिक्षकों तथा कर्मचारियों की मांगों को गंभीरता से लें। साथ ही उन्होंने कहा कि आंदोलन की कोई शक्ति उसे दबा नहीं सकती, जब तक पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं होती।प्रदर्शन में कौन थे शामिल?इस विरोध प्रदर्शन में जनपद के प्रमुख शिक्षक और कर्मचारी संगठन के सदस्य प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
प्रमुख रूप से प्रतिमा शर्मा, पूनम मैसी, निश्छल भटनागर, त्रिवेंद्र चौहान, दीपक राजपूत, सुनील कुमार, वेलमा, विक्टर, सीमा भारती, पंकज पांडे, अरविंद कुमार, अंकित सक्सेना, अखिलेश कुमार, महेश, कामिनी, पुष्पा, योगेश तिवारी और हरी बाबू शाक्यवार आदि ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।सभी ने FIR की प्रतियां जलाकर प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सरकार के इस कदम को लोकतंत्र के प्रति अपराध बताते हुए कहा कि यह कर्मचारियों की आवाज दबाने का प्रयास है, जिसे कर्मचारी कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।
पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन की पृष्ठभूमिपिछले लगभग दस वर्षों से शिक्षक तथा राज्य कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल कराने की रही है। 2004 में लागू किए गए नए पेंशन सिस्टम (NPS) से कर्मचारियों को कम लाभ मिल रहा है, जिससे वे आक्रोशित हैं। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को निश्चित पेंशन की गारंटी होती थी, जबकि नए सिस्टम में योगदान के आधार पर पेंशन मिलती है, जो अधिकांश कर्मचारियों को कम लगती है।पुरानी पेंशन योजना बहाल होने तक कर्मचारी और शिक्षक संगठनों ने कई बार केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपे, आंदोलनों का आयोजन किया, लेकिन सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
इसी कारण आंदोलन लगातार तेज होता गया है।सरकार की स्थिति और आने वाले दिनअभी तक केंद्र सरकार ने इस मामले पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन इसके दमनकारी कदमों से आंदोलन और व्यापक होता जा रहा है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वह शांतिपूर्ण आंदोलन के माध्यम से अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और अगर जरूरत पड़ी तो और सशक्त आंदोलन किया जाएगा।विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि सरकार जल्द पुराने पेंशन सिस्टम को बहाल करने का निर्णय नहीं लेती है, तो देश के विभिन्न हिस्सों में शिक्षक और कर्मचारी संगठनों का आंदोलन और तीव्र हो सकता है, जिससे सरकारी कामकाज प्रभावित हो सकता है।

