स्टील प्लांट के काले धुएं पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती, एमएसक्यू स्टील को नोटिस जारी
जौली रोड स्थित स्टील प्लांट से निकल रहे काले धुएं और उससे होने वाले वायु प्रदूषण की शिकायत पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने कड़ा रुख अपनाया है।
नेशनल एक्सप्रेस, मुजफ्फरनगर (कौसर चौधरी)। जौली रोड स्थित स्टील प्लांट से निकल रहे काले धुएं और उससे होने वाले वायु प्रदूषण की शिकायत पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने कड़ा रुख अपनाया है। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी गीतेश चंद्रा ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए एमएसक्यू स्टील प्राइवेट लिमिटेड को वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत नोटिस जारी कर तत्काल उत्सर्जन रोकने और प्रदूषण नियंत्रण के नियमों का कड़ाई से पालन करने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं।
यह निर्णायक कार्रवाई 'मुजफ्फरनगर ऐप' के माध्यम से दर्ज कराई गई एक जनशिकायत के बाद हुई है। शिकायतकर्ता ने संदर्भ संख्या MZN07137 के साथ 12 अक्टूबर, 2025 की सुबह 8 बजे का एक वीडियो साक्ष्य के तौर पर अपलोड किया था। इस वीडियो में प्लांट की चिमनी से स्पष्ट रूप से काला धुआं (ब्लैक इमीशन) निकलता हुआ दिखाई दे रहा था, जो इस बात का प्रमाण है कि उद्योग द्वारा स्थापित वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली का नियमित और प्रभावी ढंग से संचालन नहीं किया जा रहा था।
शिकायत का संज्ञान लेते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने 29 अक्टूबर, 2025 को संबंधित स्टील प्लांट का निरीक्षण किया। हालांकि, निरीक्षण के समय उद्योग बंद पाया गया, लेकिन शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए वीडियो को एक पुख्ता सबूत मानते हुए बोर्ड ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की और एक आधिकारिक नोटिस जारी किया। इस नोटिस के माध्यम से बोर्ड ने उद्योग प्रबंधन को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख निर्देश
बोर्ड ने एमएसक्यू स्टील को जारी नोटिस में निम्नलिखित बिंदुओं का तत्काल अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का संचालन: उद्योग में स्थापित सभी वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियों का हर समय और पूरी क्षमता के साथ संचालन सुनिश्चित किया जाए। वायु गुणवत्ता का ध्यान: संयंत्र का परिचालन इस प्रकार से किया जाए कि आसपास के क्षेत्र की वायु गुणवत्ता पर कोई हानिकारक प्रभाव न पड़े।
उत्सर्जन की जांच: प्लांट की चिमनी से होने वाले उत्सर्जन का परीक्षण 'नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज' (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला से कराकर उसकी रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी जाए। अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करें: बोर्ड द्वारा पूर्व में जारी जल एवं वायु सहमति की सभी शर्तों का बिंदुवार पालन करते हुए एक विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट तत्काल प्रस्तुत की जाए।
क्या हैं राज्य प्रदूषण बोर्ड के नियम?
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केंद्रीय वायु अधिनियम, 1981 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत कार्य करता है। इन अधिनियमों के अंतर्गत उद्योगों के लिए कुछ प्रमुख नियम अनिवार्य किए गए हैं, जिनका पालन न करना कानूनी उल्लंघन माना जाता है। सहमति प्राप्त करना: किसी भी उद्योग को स्थापित करने, चलाने या उसकी क्षमता का विस्तार करने से पहले राज्य बोर्ड से 'संचालन के लिए सहमति' प्राप्त करना अनिवार्य है।
नियंत्रण उपकरणों का उपयोग: सभी उद्योगों को वायु प्रदूषण रोकने के लिए स्क्रबर, साइक्लोन, और बैग फिल्टर जैसे विशेष उपकरण लगाना और उन्हें लगातार चालू हालत में रखना आवश्यक है। मानकों का पालन: चिमनी से निकलने वाले धुएं में प्रदूषक तत्वों की मात्रा निर्धारित मानकों के भीतर होनी चाहिए। काला धुआं निकलना यह दर्शाता है कि ईंधन का दहन अधूरा हो रहा है या प्रदूषण नियंत्रण उपकरण ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
नियमित निगरानी और रिपोर्टिंग: उद्योगों के लिए यह अनिवार्य है कि वे समय-समय पर अपने उत्सर्जन की जांच मान्यता प्राप्त लैब से कराएं और उसकी रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जमा करें। निरीक्षण का अधिकार: बोर्ड के अधिकारियों को किसी भी उद्योग का औचक निरीक्षण करने और नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है।

