दिल्ली में दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता चार साल में सबसे खराब
दिल्ली में दिवाली के दिन वायु गुणवत्ता चार साल में सबसे खराब रही तथा रात में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा और सूक्ष्म प्रदूषक कणों (पीएम 2.5) की सांद्रता 675 पर पहुंच गई, जो 2021 के बाद से अब तक का उच्चतम स्तर है।
नई दिल्ली, भाषा। दिल्ली में दिवाली के दिन वायु गुणवत्ता चार साल में सबसे खराब रही तथा रात में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा और सूक्ष्म प्रदूषक कणों (पीएम 2.5) की सांद्रता 675 पर पहुंच गई, जो 2021 के बाद से अब तक का उच्चतम स्तर है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने इसके लिए पटाखों के बजाय आम आदमी पार्टी (आप) शासित पंजाब में पराली जलाए जाने की घटनाओं को जिम्मेदार ठहराया।
मंगलवार को दिवाली के बाद वाली सुबह दिल्ली में घनी धुंध छाई रही, दृश्यता कम हो गई तथा वायु गुणवत्ता 'रेड जोन' में पहुंच गई। दिवाली की रात राष्ट्रीय राजधानी में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित दो घंटे की समयसीमा के बाद भी आतिशबाजी की गई। सोमवार शाम चार बजे दिल्ली का पिछले 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 345 रहा, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में यह 330, 2023 में 218 और 2022 में 312 रहा था। कई जलवायु विशेषज्ञों ने मंगलवार को दावा किया कि व्यस्त समय के आंकड़े गायब हैं। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा हालांकि ने दावा किया कि सभी आंकड़े सही सलामत हैं और विभाग की वेबसाइट और ऐप पूरी तरह से चालू हैं।
प्रति घंटे जारी बुलेटिन के अनुसार, शहर का एक्यूआई सोमवार रात भर उच्च बना रहा। बुलेटिन के अनुसार, एक्यूआई रात 10 बजे 344, रात 11 बजे 347, आधी रात को 349 और रात एक बजे 348 दर्ज किया गया। मंगलवार की सुबह सूचकांक लगातार ऊंचा बना रहा। यह सुबह पांच बजे 346, सुबह छह बजे 347, सुबह सात बजे 351, सुबह आठ बजे 352, सुबह नौ बजे 356, सुबह 10 बजे 359, पूर्वाह्न 11 बजे और दोपहर तक 359 पर बना रहा।
इस बीच, पीएम2.5 का स्तर भी पिछले चार वर्ष में सबसे खराब रहा, जो दिवाली की देर रात 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। पीएम 2.5 ऐसे सूक्ष्म कण होते हैं जो आसानी से श्वसन तंत्र में प्रवेश कर जाते हैं और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा करते हैं। पीएम 2.5 की सांद्रता भी सुरक्षित सीमा से अधिक हो गई।
तुलना के लिए, 2024 में पीएम2.5 का स्तर 609 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर, 2023 में 570 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर, 2022 में 534 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 2021 में 728 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।दिवाली के दिन शाम चार बजे से पांच बजे के बीच पीएम2.5 का स्तर 91 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था जो हर घंटे लगातार बढ़ा। यह शाम छह बजे 106, शाम सात बजे 146, रात आठ बजे 223, रात नौ बजे 371, रात 10 बजे 537 और आधी रात तक 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के शिखर पर पहुंच गया।
बाद में इसका स्तर गिरना शुरू हो गया और मंगलवार को बाद में 91 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर वापस आ गया। उच्चतम न्यायालय ने दिवाली पर रात बाठ बजे से 10 बजे के बीच हरित पटाखे जलाने की अनुमति दी थी, लेकिन पटाखे निर्धारित समय के काफी बाद तक कथित रूप से जलाए गए।
मंगलवार को शाम चार बजे जारी दिल्ली का 24 घंटे का औसत एक्यूआई 351 के साथ 'बेहद खराब' श्रेणी में रहा। सीपीसीबी के अनुसार, शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 सेू 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।
निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस) के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को शहर के वायु प्रदूषण में परिवहन उत्सर्जन का योगदान 14.6 प्रतिशत था, जबकि पड़ोसी राज्यों में गाजियाबाद का योगदान छह प्रतिशत, नोएडा का योगदान 8.3 प्रतिशत, गुरुग्राम में योगदान 3.6 प्रतिशत और पराली जलाने का योगदान एक प्रतिशत रहा।
उपग्रह डेटा से दिवाली पर पराली जलाने की पंजाब में 45, हरियाणा में 13 और उत्तर प्रदेश में 77 घटनाएं सामने आईं। दिल्ली स्थित सीपीसीबी में वायु प्रयोगशालाओं के प्रमुख एवं पूर्व अतिरिक्त निदेशक दीपांकर साहा ने कहा कि हवा की गति बढ़ने से वायु गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि एक्यूआई में अचानक वृद्धि बं गाल की खाड़ी में दबाव की स्थिति के कारण हुई। इससे हवा की गति कम या शांत हो गई, जिससे प्रदूषकों का फैलाव रुक गया और उनका संचयन हो गया।
दिवाली के बाद दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। विपक्षी ‘आप’ ने दिल्ली में भजपा सरकार की आलोचना की है, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी द्वारा शासित पंजाब में पराली जलाए जाने की घटनाओं को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में पटाखे फोड़ने के संबंध में उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों का कथित तौर पर उल्लंघन करने को लेकर 100 से अधिक मामले दर्ज किए हैं, जबकि अवैध तरीके से पटाखों की बिक्री के आरोप में करीब 50 मामले दर्ज किए गए हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि इस साल दिवाली की ‘‘चमक और रौनक अनोखी’’ थी और उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार प्रदूषण से निपटने और इसे रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने को लेकर गंभीर है।
उन्होंने पर्यावरण संबंधी चिंताओं के साथ परंपरा को संतुलित करते हुए हरित पटाखों के ‘‘सीमित उपयोग’’ की अनुमति देने के लिए उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद किया। दिल्ली के गृहमंत्री आशीष सूद ने मंगलवार को कहा कि दिवाली के मौके पर जिन लोगों ने रात दस बजे के बाद पटाखे फोड़े उन्होंने ‘गैर जिम्मेदाना’ व्यवहार किया।
मंत्री ने हालांकि रेखांकित किया कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण बढ़ने का एकमात्र कारण पटाखे फोड़ना नहीं है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में जहरीली धुंध के लिए पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि पड़ोसी राज्य ने दिवाली की रात किसानों को रिकॉर्ड मात्रा में धान की पराली जलाने के लिए मजबूर किया।
सिरसा ने मंगलवार को पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि आप नेताओं ने ‘‘दिल्ली की मुख्यमंत्री, भाजपा और सनातन धर्म के अनुयायियों द्वारा दिवाली मनाए जाने और पटाखे फोड़े जाने की निंदा की’’, लेकिन हवा की गुणवत्ता बिगड़ने का असली कारण पंजाब में अत्यधिक पराली जलाना है।
आप की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली में रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से जानना चाहा कि उसने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कृत्रिम बारिश कराने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दिवाली के दौरान प्रतिबंधित पटाखे फोड़े गए और सवाल किया कि क्या दिल्ली सरकार पटाखा निर्माण लॉबी के साथ मिली हुई है।
आप नेता ने यह भी दावा किया कि दिवाली की रात वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं था और इसके लिए उन्होंने भाजपा को जिम्मेदार ठहराया।
पलटवार करते हुए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक बयान में भारद्वाज सहित आप नेताओं पर आरोप लगाया कि वे दिवाली और पटाखे फोड़ने पर वायु गुणवत्ता में गिरावट का दोष मढ़कर अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को सुरक्षित करने के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं।
इnmस दिवाली पटाखों की बिक्री में भारी वृद्धि देखी गई। व्यापारियों ने बताया कि कारोबार में बढ़ोतरी रही और कुल बिक्री लगभग 500 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। सदर बाज़ार एसोसिएशन ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल बिक्री लगभग 40 प्रतिशत अधिक रही।

