उच्चतम न्यायालय ने उज्जैन में मस्जिद गिराए जाने के खिलाफ याचिका खारिज की
उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक मस्जिद के गिराए जाने के खिलाफ दायर याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
नई दिल्ली, भाषा। उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक मस्जिद के गिराए जाने के खिलाफ दायर याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। मस्जिद को भूमि अधिग्रहण के बाद ध्वस्त कर दिया गया था।तकिया मस्जिद जनवरी में उस जमीन के अधिग्रहण के बाद ध्वस्त कर दी गई थी जिस पर यह बनी थी। कहा जाता है कि मस्जिद लगभग 200 साल पहले बनी थी।
अधिकारियों ने उज्जैन में महाकाल लोक परिसर के पार्किंग स्थल का विस्तार करने के लिए भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू की थी।शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, 13 याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि 200 साल पुरानी मस्जिद को इसलिए गिराया गया क्योंकि पार्किंग स्थल की आवश्यकता थी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने इस याचिका की सुनवाई की।पीठ ने कहा, ‘‘वैधानिक योजना के तहत मुआवज़ा देना ज़रूरी था। आपने उसी अधिग्रहण को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की थी, जिसे वापस लिया गया मान कर खारिज कर दिया गया था।’’
वकील ने कहा कि मस्जिद को 1985 में वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था।वकील ने तर्क दिया, ‘‘आपको किसी अन्य धार्मिक स्थल के लिए पार्किंग की ज़रूरत है और आप मस्जिद गिरा देते हैं और कहते हैं कि आपको इसका अधिकार नहीं है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘अब बहुत देर हो चुकी है, कुछ नहीं किया जा सकता। याचिका को खारिज किया जाता है।’’ पीठ ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इस संबंध में तर्क दिया है।याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के समक्ष कहा था कि वे उज्जैन के निवासी हैं और मस्जिद में नमाज अदा करते थे।
प्राधिकारियों ने अदालत से कहा था कि जमीन का अधिग्रहण कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए किया गया था, मुआवजा दिया गया था और अब सभी संपत्तियां राज्य सरकार के पास हैं।

