संविधान की आत्मा ने प्रमाणित किया है कि भारत एक है और सदैव एक रहेगा : उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन
उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने बुधवार को सभी से ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया और कहा कि हमारे संविधान की आत्मा ने प्रमाणित कर दिया है कि भारत एक है और सदैव एक रहेगा।
नयी दिल्ली, भाषा। उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने बुधवार को सभी से ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया और कहा कि हमारे संविधान की आत्मा ने प्रमाणित कर दिया है कि भारत एक है और सदैव एक रहेगा। संविधान सदन (पुराने संसद भवन) के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए राधाकृष्णन ने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे लोगों की उचित आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए संवाद, बहस और चर्चा को अपनाएं। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के योगदान के बिना कोई भी देश ऐसे ही महान नहीं बन सकता।
हमें कर्तव्यबोध के साथ अपनी-अपनी भूमिकाएं निभानी होंगी।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इस दिन हमारे शानदार संविधान के प्रति सबसे बड़ा सम्मान यह है कि हम इसके मूल्यों के अनुरूप जीवन जीने का संकल्प लें।’’ जन प्रतिनिधियों से आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘चाहे संसद हो या राज्य विधानसभाएं या स्थानीय निकाय, यह हमारा प्रमुख कर्तव्य है कि हम लोगों की उचित आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए संवाद, बहस और चर्चा को अपनाएं।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारे संविधान निर्माताओं की इसी भावना के अनुरूप हमें अब इस अमृत काल में विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में काम करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर बदलते आर्थिक और भू-राजनीतिक परिदृश्य में हम सभी को जीवन के कई क्षेत्रों में सुधारों की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा कि चुनावी सुधार, न्यायिक सुधार और वित्तीय सुधार बहुत महत्वपूर्ण हैं। राधाकृष्णन ने यह भी कहा कि जीएसटी के रूप में ‘एक राष्ट्र-एक कर’ प्रणाली ने व्यापार करने में आसानी के अलावा लोगों की समृद्धि में भी वृद्धि की है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसने रातोंरात देश की जटिल बहु-कर प्रणालियों और सभी कमियों को हटाने का मार्ग प्रशस्त किया। इससे यह साबित हुआ कि सरकार को आम आदमी पर पूरा भरोसा है।’’ उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि संविधान सामाजिक न्याय और कमजोर वर्गों के आर्थिक सशक्तीकरण के प्रति हमारी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

