भविष्य के युद्ध 1971 और 1999 के युद्धों से अलग होंगे: लेफ्टिनेंट जनरल साही
सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को कहा कि 2035 में अगर कोई युद्ध होता है तो वह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध या करगिल के युद्ध जैसा नहीं होगा बल्कि इसे साइबर, अंतरिक्ष, कक्षीय तारामंडलों, ड्रोन और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों से लड़ा जाएगा।
महू (मध्यप्रदेश), भाषा। सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को कहा कि 2035 में अगर कोई युद्ध होता है तो वह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध या करगिल के युद्ध जैसा नहीं होगा बल्कि इसे साइबर, अंतरिक्ष, कक्षीय तारामंडलों, ड्रोन और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों से लड़ा जाएगा। आर्मी वॉर कॉलेज के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल हरजीत सिंह साही ने कहा कि चीन अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को एक आधुनिक संयुक्त बल में पुनर्गठित कर रहा है, जो 'बुद्धिमत्ता आधारित युद्ध' के सिद्धांत से निर्देशित है। उन्होंने कहा कि जबकि हाइपरसोनिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अंतरिक्ष-आधारित निगरानी में प्रगति संघर्ष की प्रकृति को बदल रही है। "इंटेलिजलाइज्ड वारफेयर" चीन से जुड़ी एक आधुनिक सैन्य अवधारणा है जिसमें एआई और अन्य उन्नत तकनीकों का व्यापक उपयोग शामिल है।
लेफ्टिनेंट जनरल साही ने यहां आयोजित दो दिवसीय सिद्धांत और रणनीति संगोष्ठी-2025 के पहले दिन कहा, "2035 का युद्धक्षेत्र 1971 या 1999 जैसा नहीं होगा। इसे साइबर, अंतरिक्ष, कक्षीय तारामंडलों, ड्रोन के झुंड और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों द्वारा आकार दिया जाएगा।" एक बयान में उनके हवाले से कहा गया कि पाकिस्तान अपनी नाकामयाबी की रणनीति को जारी रखेगा और छद्म युद्ध, हाइब्रिड युद्ध तथा सामरिक परमाणु रुख के माध्यम से भारत की पारंपरिक श्रेष्ठता को खत्म करने की कोशिश करेगा। शीर्ष सैन्य अधिकारी ने इस बात पर बल दिया कि उरी से लेकर पुलवामा और हाल ही में पहलगाम तक, पड़ोसी देश की आतंकवाद पर निर्भरता देश की नीति के रूप में बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने प्रदर्शित किया है कि सटीक हमलों, गति और रणनीतिक झटकों के माध्यम से पासा पलटना संभव है। लेफ्टिनेंट जनरल साही ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा कि भारतीय सेना के भविष्य के नेताओं में नवाचार करने, अनुकूलन करने और सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ने का साहस है। उन्होंने कहा, "दूरदर्शिता की स्पष्टता, उद्देश्य की एकता और अपने सैनिकों के योद्धा लोकाचार के साथ, भारतीय सेना आज, 2035 में और उसके बाद भी राष्ट्रीय शक्ति का निर्णायक साधन बनी रहेगी।"
सेना प्रशिक्षण कमान के जनरल ऑफिसर-कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र शर्मा ने अपने भाषण में उभरती विश्व व्यवस्था, चल रहे संघर्षों के दौरान युद्ध के बदलते स्वरूप के साथ-साथ भारत की सुरक्षा चिंताओं को प्रभावित करने वाले क्षेत्रीय पड़ोस से संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं को छुआ।उन्होंने कहा, ''अगर भारत को भविष्य के लिए तैयार रहना है तो उसे युद्ध के मैदान के मौजूदा माहौल और प्रौद्योगिकी के आगमन के अनुरूप युद्ध लड़ने की नयी अवधारणाओं को विकसित करने की जरूरत है।"

