Zubeen Garg की विरासत : सिंगापुर के द्वीप पर गूंजेगी 'या अली' की धुन

नेशनल एक्सप्रेस डिजिटल डेस्क
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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह जुबीन के प्रभाव को दर्शाता है। जुबीन गर्ग, जिन्हें 'असम की आवाज' कहा जाता था, 52 वर्ष की आयु में सिंगापुर के नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल (एनईआईएफ) में हिस्सा लेने गए थे।

नेशनल एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। सिंगापुर के तट पर स्थित एक छोटा सा द्वीप अब दुनिया भर के संगीत प्रेमियों के लिए एक जीवंत स्मृति बन चुका है। यह है 'जुबीन गर्ग द्वीप'—वह जगह जहां असम के प्रिय गायक जुबीन गर्ग ने 19 सितंबर को अपनी अंतिम सांस ली। गूगल मैप्स पर यह नाम अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है, जो प्रशंसकों की भावुक अपील का नतीजा है। यह नामकरण न केवल एक श्रद्धांजलि है, बल्कि जुबीन की विरासत को वैश्विक पटल पर अमर बनाने का प्रतीक भी।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह जुबीन के प्रभाव को दर्शाता है। जुबीन गर्ग, जिन्हें 'असम की आवाज' कहा जाता था, 52 वर्ष की आयु में सिंगापुर के नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल (एनईआईएफ) में हिस्सा लेने गए थे।यह फेस्टिवल भारत-सिंगापुर कूटनीतिक संबंधों के 60 वर्ष और इंडिया-आसियन पर्यटन वर्ष का हिस्सा था।

20 सितंबर को होने वाले उनके प्रदर्शन से पहले, वे सहयोगियों के साथ सेंट जॉन्स द्वीप (जिसे लाजरस द्वीप भी कहा जाता है) के पास यॉट पर घूमने निकले। प्रारंभिक रिपोर्ट्स में स्कूबा डाइविंग हादसे का जिक्र था, लेकिन उनकी पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग ने स्पष्ट किया कि यह सामान्य तैराकी के दौरान हुआ। लाइफ जैकेट पहनकर पहली बार तैरने के बाद, जुबीन ने दोबारा पानी में उतरने का फैसला किया। इसी दौरान उन्हें दौरा पड़ा, वे बेहोश हो गए और डूब गए।

सिंगापुर पुलिस ने उन्हें समुद्र से बचाया और सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन दोपहर करीब 2:30 बजे उनका निधन हो गया। सिंगापुर पुलिस ने मौत का कारण डूबना बताया और फाउल प्ले की आशंका खारिज की। इस घटना ने असम और पूर्वोत्तर भारत को शोक की लहर में डुबो दिया। लाखों प्रशंसक सड़कों पर उतरे, राज्य में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया।

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जुबीन के अंतिम संस्कार से पहले सिंगापुर में पोस्टमॉर्टम हुआ, फिर शव दिल्ली होते हुए असम पहुंचा। सार्वजनिक संदेहों के चलते असम सरकार ने दूसरा पोस्टमॉर्टम कराया, जो डूबने की पुष्टि करता है। अंतिम संस्कार 23 सितंबर को उनके पैतृक गांव सोनापुर में राजकीय सम्मान के साथ हुआ। मुख्यमंत्री सरमा समेत हजारों प्रशंसक और सहयोगी उपस्थित थे। गरिमा ने कहा, "जुबीन को दौरा पहले भी पड़ा था, लेकिन इस बार वे बच नहीं सके।"मौत के बाद विवाद भी उठा। कुछ वीडियो में दिखा कि जुबीन ने लाइफ जैकेट उतार ली थी, जिससे लापरवाही के आरोप लगे। असम सीआईडी ने जांच शुरू की, जिसमें 60 से अधिक एफआईआर दर्ज हुईं। उनके मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा, ड्रमर शेखर ज्योति गोस्वामी, आयोजक संजीव नारायण और अन्य को हत्या, लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया। हाल ही में दो और—गायिका अमृतप्रभा महанта और बैंड सदस्य—को हिरासत में लिया गया। विशेष जांच टीम (एसआईटी) मामले की गहराई से पड़ताल कर रही है।

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सिंगापुर से ऑटोप्सी रिपोर्ट प्राप्त हुई, जो सहयोगी जांच में मदद करेगी।प्रशंसकों के बीच यह नामकरण एक सकारात्मक कदम है। सोशल मीडिया पर स्क्रीनशॉट्स वायरल हो रहे हैं, जहां लोग लिखते हैं, "जुबीन दा की आत्मा अब उस द्वीप में बसी है।" लाजरस द्वीप, जो क्वारंटाइन साइट और कब्रिस्तान के रूप में कुख्यात रहा, अब जुबीन की स्मृति से जुड़ गया। यह बदलाव उनके गीतों जैसे 'या अली' की तरह सीमाओं लांघ रहा है।

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जुबीन—संगीतकार, अभिनेता, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता—की विरासत असम से आगे बढ़कर वैश्विक हो गई। उनके निधन ने न केवल संगीत जगत को झकझोरा, बल्कि सुरक्षा और जांच की आवश्यकता पर भी बहस छेड़ दी। दुनिया भर के फैंस मानते हैं कि 'जुबीन गर्ग द्वीप' उनकी अमर कहानी का प्रतीक बनेगा।