न्यायालय ने एम्बुलेंस में जीवन रक्षक सुविधाएं सुनिश्चित करने की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा
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उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार और अन्य पक्षों से एक याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें एम्बुलेंस में हर समय पर्याप्त जीवन रक्षक सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
नई दिल्ली, भाषा। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार और अन्य पक्षों से एक याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें एम्बुलेंस में हर समय पर्याप्त जीवन रक्षक सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने 10 अक्टूबर के अपने आदेश में कहा, “नोटिस जारी करें, जिसका चार सप्ताह में जवाब दिया जाए।”
याचिका में केंद्र, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता पर्सीवल बिलिमोरिया और अधिवक्ता जैस्मीन दामकेवाला याचिकाकर्ताओं सायंशा पनंगीपल्ली और प्रिया सरकार की ओर से पेश हुए। पनंगीपल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रहे प्रख्यात हृदय-वक्ष शल्य चिकित्सक डॉ. पी. वेणुगोपाल की बेटी हैं।
प्रिया सरकार वेणुगोपाल की पत्नी हैं। याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ताओं को एम्बुलेंस में अपर्याप्त आपातकालीन सुविधाओं का एहसास उस समय हुआ जब डॉ. पी. वेणुगोपाल ने स्वयं अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में जाते समय दम तोड़ दिया, क्योंकि एम्बुलेंस में आपातकालीन जीवन रक्षक सुविधाओं का घोर अभाव था।
इसके परिणामस्वरूप उन्हें ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा।” याचिकाकर्ताओं ने पाया कि पूरे भारत में एम्बुलेंस में पर्याप्त आपातकालीन संसाधनों की कमी एक बड़ा चिंता का विषय है। याचिका में कहा गया है कि अगर एंबुलेंस में पर्याप्त सुविधाएं होतीं तो कई लोगों की जान बचाई सकती थी।