अस्त्रों के साथ शांति का संदेश देने वाले दिव्य शास्त्रों का पूजन

परमार्थ निकेतन में विजया दशमी के अवसर पर अस्त्रों के साथ शान्ति का संदेश देने वाले दिव्य शास्त्रों का पूजन कर विश्व शान्ति यज्ञ किया।
नेशनल एक्सप्रेस ब्यूरो, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में विजया दशमी के अवसर पर अस्त्रों के साथ शान्ति का संदेश देने वाले दिव्य शास्त्रों का पूजन कर विश्व शान्ति यज्ञ किया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी को विजयादशमी की शुभकामनायें अर्पित की। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी व पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित कर अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर वैश्विक स्तर पर शान्ति स्थापित करने हेतु योगदान देने का आह्वान किया।
आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्वर्णिम शताब्दी पूर्ण होने पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सम्पूर्ण संघ परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुये कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, समर्पण, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति की अद्वितीय परंपरा का प्रतीक है। बीते सौ वर्षों में संघ ने न केवल संगठनात्मक मजबूती दिखाई, बल्कि सामाजिक सरोकारों, शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रसेवा के क्षेत्रों में भी अद्वितीय योगदान दिया है।
संघ की यह गौरवशाली यात्रा हमें संदेश देती है कि समर्पित प्रयास और अनुशासित कार्य ही समाज और राष्ट्र के निर्माण का आधार हैं। स्वयंसेवकों का समर्पण, उनके आदर्श और उनके कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। यह यशस्वी परंपरा केवल भूतकाल की उपलब्धि नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए मार्गदर्शक प्रकाशस्तंभ भी है। हम सभी को इस स्वर्णिम शताब्दी की उपलब्धि पर गर्व है और इसे आगे बढ़ाने के लिए स्वयं को भी प्रेरित करना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि विजयादशमी; दशहरा, भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत गौरवशाली और प्रेरक पर्व है। जो हमें जीवन के महान सत्य, धर्म और नैतिक मूल्यों की याद दिलाता है। इस पावन अवसर पर हम अपने भीतर की रावणीय प्रवृत्तियों क्रोध, लोभ, अहंकार और मोह का दहन कर, श्रीराम जी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लें।
इस पर्व का महत्व रावण दहन तक सीमित नहीं होना चाहिये। विजयादशमी हमें यह संदेश देती है कि असत्य चाहे कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की ही अंततः विजय होती है। यह जीवन के हर क्षेत्र, व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर मार्गदर्शन देने वाला संदेश है। हमारे जीवन में कभी-कभी बाहरी परिस्थितियाँ कठिन होती हैं, और कभी-कभी हमारे भीतर के विकार, क्रोध, लोभ, अहंकार और मोह हमें भ्रमित कर देते हैं। ऐसे समय में विजयादशमी हमें यह स्मरण कराती है कि अपने भीतर की रावणीय वृतियों का दहन कर हम सच्चे धर्म और आदर्शों की ओर बढ़ सकते हैं। जब हम अपने भीतर के अंधकार का दहन करते हैं और सत्य, धर्म और भक्ति के मार्ग को अपनाते हैं, तब जीवन में वास्तविक विजय प्राप्त होती है।
विजयादशमी का पर्व हमें यह भी स्मरण कराता है कि हमारी संस्कृति, हमारे इतिहास और हमारी गौरवशाली परंपरायें हमें प्रेरणा देने के लिये हंै। पर्व हमें विश्वास दिलाते है कि यदि हम धर्म, सत्य और नैतिकता के मार्ग पर अडिग रहें, तो कोई भी शक्ति हमें पराजित नहीं कर सकती।
स्वामी जी ने कहा कि हम अपने जीवन में प्रेम, करुणा, सद्गुण, संस्कृति और राष्ट्रनिष्ठा का दीप प्रज्वलित करें। समाज में शांति, सद्भावना और एकता का संदेश फैलाएँ। यह केवल व्यक्तिगत सुधार का पर्व नहीं है, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी का भी प्रतीक है।
स्वामी जी ने कहा कि आज का दिन अत्यंत ऐतिहासिक है आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी, पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती एवं अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी हैं। आज का दिन बापू के जन्मदिवस के रूप में ही नहीं, बल्कि उनके अद्वितीय आदर्शों और शिक्षाओं को याद करने और जीवन में अपनाने का अवसर भी है। महात्मा गांधी जीं ने सत्य, अहिंसा, करुणा और सद्भावना को अपने जीवन का मार्गदर्शन बनाया और हमें संदेश दिया कि सच्चा परिवर्तन हिंसा और द्वेष से नहीं, बल्कि प्रेम, सहिष्णुता और संयम से संभव है।
आज के समय में जब विश्व अनेक प्रकार की चुनौतियों और तनावों का सामना कर रहा है, गांधी जी के विचार और उनके मार्गदर्शन और भी प्रासंगिक हो गए हैं। अपने विचारों, वाणी और कर्मों में अहिंसा को अपनाना ही समाज में स्थायी शांति, सहयोग और सामंजस्य स्थापित करने का मार्ग है। हम सभी को अपने व्यक्तिगत जीवन में अहिंसा, सत्य और प्रेम का दीप जलाए रखना होगा।
महात्मा गांधी का संदेश केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अहिंसा ही मानवता का भविष्य है। आइए, उनके आदर्शों को आत्मसात कर हम अपने जीवन में शांति, सद्भावना और करुणा का संचार करें और विश्व को स्थायी शांति का संदेश दें।