मेडिकिल कॉलेज में दो ऑक्सीजन प्लांट होने के बावजूद खरीदनी पड़ रहीं ‘सांसें’
जनपद के मेडिकल कॉलेज में प्रशासनिक लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है।
नेशनल एक्सप्रेस, मनीष राजपूत (फिरोजाबाद)। जनपद के मेडिकल कॉलेज में प्रशासनिक लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। कोविड काल में ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए करीब 75 लाख रुपये से अधिक की लागत से दो ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए, लेकिन आज तक इन प्लांटों की सप्लाई लाइन अस्पताल के वार्डों तक नहीं पहुंच सकी।
नतीजतन मेडिकल कॉलेज को हर महीने 8 से 10 लाख रुपये खर्च करके 400 से 500 जंबो ऑक्सीजन सिलिंडर बाहर से खरीदने पड़ रहे हैं।जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज बनने के बाद यहां मरीजों की संख्या पहले की तुलना में ढाई से तीन गुना तक बढ़ चुकी है। सड़क दुर्घटनाओं, गंभीर बीमारियों और टीबी के मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता होती है।
जिसके लिए प्लांट की सीधी सप्लाई की व्यवस्था आवश्यक थी, लेकिन पाइपलाइन का काम अब तक पूरा नहीं हो सका है। मेडिकल कॉलेज में 1,000 लीटर प्रति मिनट क्षमता वाला पहला ऑक्सीजन प्लांट कोविड काल में लगाया गया था। इसके बाद 20,000 लीटर क्षमता वाला लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) प्लांट भी स्थापित कर दिया गया।
एलएमओ प्लांट में टैंकर से लिक्विड ऑक्सीजन भरने की व्यवस्था भी मौजूद है, बावजूद इसके इसका उपयोग व्यावहारिक रूप से नहीं हो पा रहा है। मांग अधिक, सप्लाई कम मेडिकल कॉलेज को प्रतिदिन लगभग 50 सिलिंडर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। मौजूदा व्यवस्था में प्लांट से केवल 20 सिलिंडर प्रतिदिन ही उपलब्ध हो पा रहे हैं।
जबकि बाकी 25 से 30 सिलिंडर प्रतिदिन बाजार से खरीदने पड़ रहे हैं। यदि पाइपलाइन का कार्य पूरा हो जाए, तो हर महीने लाखों रुपये की बचत संभव है।महत्वपूर्ण वार्डों में भी नहीं सीधी सप्लाई इन सभी में आज भी सिलिंडर के जरिए ही ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है, जबकि इन वार्डों को प्लांट से सीधी आपूर्ति प्राथमिकता के आधार पर मिलनी चाहिए थी ।

