बंदरों के आतंक से त्रस्त ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, सड़क पर उतरकर की नारेबाजी

नेशनल एक्सप्रेस डिजिटल डेस्क
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नगर टूंडला के लाइनपार क्षेत्र के रुधऊ म़ुस्तकिल ग्राम पंचायत के गांव नई आबादी गढ़ी भक्ति में बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीणों का सब्र आखिर टूट गया।

नेशनल एक्सप्रेस, फिरोजाबाद/टूंडला। नगर टूंडला के लाइनपार क्षेत्र के रुधऊ म़ुस्तकिल ग्राम पंचायत के गांव नई आबादी गढ़ी भक्ति में बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीणों का सब्र आखिर टूट गया। शनिवार को गुस्साए ग्रामीणों ने गांव में ही सड़क पर धरना दे दिया और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

ग्रामीणों ने बंदरों को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम तुरंत बुलाने की मांग करते हुए गढ़ी भक्ति, विजयी गढ़ी और रेलवे डीएफसीसी मार्ग को कुछ समय के लिए बाधित कर दिया। धरने की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया।

उच्चाधिकारियों के निर्देश पर क्षेत्रीय लेखपाल रजत कुमार मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों से दो दिन का समय मांगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि दो दिन के भीतर बंदरों को पकड़ने की कार्रवाई कराई जाएगी। आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने फिलहाल धरना समाप्त किया,

लेकिन चेतावनी दी कि यदि तय समय में कार्रवाई नहीं हुई तो तहसील प्रांगण में अनिश्चितकालीन आंदोलन किया जाएगा। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 20 दिनों से गांव में बंदरों का आतंक बना हुआ है। महिलाएं और बच्चे आए दिन इनके हमलों का शिकार हो रहे हैं।

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गांव की पूनम देवी, राजवती और सर्वेश देवी को बंदर पहले ही घायल कर चुके हैं। सात अक्टूबर को ग्रामीणों ने एसडीएम अंकित वर्मा की अनुपस्थिति में तहसीलदार राखी शर्मा को ज्ञापन सौंपा था, जिन्होंने एक-दो दिन में कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन कोई टीम मौके पर नहीं पहुंची।

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बंदरों के लगातार हमलों और प्रशासनिक लापरवाही से नाराज ग्रामीण शनिवार को एकजुट होकर सड़कों पर उतर आए। धरने में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारे लगाए।

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गांव की भूरी देवी, कमलेश, महारानी, पुष्पा देवी, लटूरी सिंह, मेग सिंह, छोटू, रामबाबू, हंसराज, शकुंतला देवी और सीमा देवी सहित अन्य ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि यदि दो दिन में बंदरों को नहीं पकड़ा गया तो वे तहसील परिसर में आमरण अनशन करने को बाध्य होंगे। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि गांव में जल्द से जल्द वन विभाग की टीम भेजी जाए और लोगों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं, ताकि बंदरों के आतंक से राहत मिल सके।

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