कानपुर में तीन दवा कंपनियों ने कफ सिरप व टैबलेट निर्माण लाइसेंस समर्पित किए
आठ अक्तूबर को दादानगर स्थित सिनिकेम लैबोरेट्रीज में जहरीले कफ सिरप के शक में छापा मारा गया था, जिसके बाद फर्म ने एलोपैथिक दवाओं का उत्पादन बंद कर अब आयुर्वेदिक सिरप बनाना शुरू कर दिया है।
नेशनल एक्सप्रेस ब्यूरो, कानपुर (डीके सिंह)। कानपुर शहर की तीन दवा निर्माण फर्मों ने कफ सिरप और टैबलेट बनाने का लाइसेंस समर्पण करने के लिए आवेदन दिया है। प्रमुख कारण हैं — बाहरी राज्यों की सस्ती दवाओं से प्रतिस्पर्धा, निर्माण लागत में बढ़ोतरी और ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम के कड़े प्रावधान।शहर की दादानगर और लखनपुर स्थित सिनिकेम लैबोरेट्रीज, टेक्नो फार्मा और एक अन्य कंपनी ने यह आवेदन किया है।
आठ अक्तूबर को दादानगर स्थित सिनिकेम लैबोरेट्रीज में जहरीले कफ सिरप के शक में छापा मारा गया था, जिसके बाद फर्म ने एलोपैथिक दवाओं का उत्पादन बंद कर अब आयुर्वेदिक सिरप बनाना शुरू कर दिया है। फर्म मालिकों नरेंद्र कुमार गुप्ता और यश गुप्ता का कहना है, एलोपैथिक दवा निर्माण में नियम बहुत कड़े हैं, जिससे छोटे उद्यमियों के लिए निवेश करना मुश्किल है। इसलिए हमने यह इकाई बंद करने का निर्णय लिया।
दवा व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजेंद्र सैनी ने बताया कि अन्य राज्यों जैसे हरिद्वार, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में दवा उद्योगों को सब्सिडी मिलती है, जिससे वे कम दामों में उत्पाद बेच पाते हैं। वहीं, कानपुर में ऐसी कोई रियायत नहीं है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है।ड्रग विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से हुई बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद से शहर में दवा निर्माण इकाइयों की सघन जांच की जा रही है। जांच में कई कमियां सामने आने के बाद कुछ फर्मों की खरीद–बिक्री पर रोक भी लगाई गई है।

